Hamid Ansari: Modi's comment shocked Farewell's formality.
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि उनके विदाई कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दिया भाषण प्रचलित परिपाटी के काफी अलग था. न्यूज़ एजेंसी को दिए इंटरव्यू में पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा, प्रधानमंत्री इसमें (फेयरवेल) शामिल हुए, और मेरी पूरी तारीफ करने के दौरान उन्होंने मेरे दृष्टिकोण में एक निश्चित झुकाव के बारे में भी संकेत दिया. उन्होंने मुस्लिम देशों में राजनयिक के तौर पर मेरे पेशेवर कार्यकाल और कार्यकाल खत्म होने के बाद अल्पसंख्यक संबंधी सवालों की चर्चा की.
राज्यसभा के पूर्व सभापति ने कहा, ‘संभवत: यह, मेरे बेंगलुरु में दिए भाषण के संदर्भ में था, जिसमें मैंने ‘असुरक्षा की बढ़ती आशंका’ के बारे में कहा था. साथ ही अपने दिए टीवी इंटरव्यू में भी इसका जिक्र किया था कि मुस्लिमों और कुछ अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के मन में असुरक्षा की भावना बढ़ी है.’ हामिद अंसारी ने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले दिए आखिरी इंटरव्यू में कहा था कि, देश का मुस्लिम समाज डरा हुआ है. अंसारी ने अपनी नई किताब, ‘डेयर आई क्वेश्चन? रिफ्लेक्शंस ऑन कंटेपररी चैलेंजेज’ में इन मुद्दों पर लिखा है. उनकी यह किताब उनके दिए भाषण और लेख का संग्रह है. लगातार दो बार देश के उपराष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी का मानना है कि राष्ट्रवाद पर चर्चा करना भारतीय लोकतंत्र के लिए व्यापक विद्रोह है.
हामिद अंसारी ने इसी साल मार्च में कहा था कि ‘अन्य धार्मिक अल्पसंख्यों की तरह मुसलमान भी धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक हैं… और 2006 में सच्चर (कमेटी) की रिपोर्ट आने तक उन्हें अपर्याप्त रूप से ऐसा माना जाता था. मुस्लिमों के कई तबके विकास के विभिन्न पैमाने पर पिछड़े हुए हैं. इसलिए उन्हें सशक्त और सक्षम बनाने के लिए काफी काम किए जाने की जरूरत है तभी सही मायने में ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा सच साबित होगा.’ बता दें कि 10 अगस्त, 2017 हामिद अंसारी का उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के तौर पर दूसरे कार्यकाल का अंतिम दिन था. परंपरा के अनुसार राजनीतिक दल और सदस्य पूर्वाह्न सत्र में सभापति को धन्यवाद देते हैं.