Friday, March 29, 2024
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प्रेम प्रकाश से कैसे बना मुन्ना बजरंगी?

SI News Today

The death Story From Prem Prakash Singh to Mafia Munna Bajrangi?

  

भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में बागपत जेल में बंद और पूर्वांचल में खौफ,  हत्या, लूट के दर्जनों मुकद्दमों में वांछित सबसे बड़ा नाम रहा मुन्ना बजरंगी की जेल में गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस वारदात के बाद जेल प्रशासन जेल में हत्या होने से पूरा पुलिस प्रशासन अचंभित है। इससे पहले शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने लखनऊ में 29 जून को प्रेस कॉफ्रेंस कर पति की हत्या की आशंका जतायी थी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सुरक्षा की गुहार लगाते हुए उसने कहा था कि यूपी पुलिस और एसटीएफ मेरे पति का एनकाउंटर करना चाहती है।उन्होंने पहले भी कई प्रभावशाली नेता और अफसरों पर आरोप लगाया था कि उनपर जानलेवा हमला या खाने में जहर देकर मारने की साज़िश की जा रही है। एक सीसीटीवी फुटेज जानकारी देते हुए जिसमें एसटीएफ के अधिकारी जेल में ही मुन्ना बजरंगी को मारने की बात कह रहे हैं। यूपी पुलिस पर आरोप लगते हुए सीमा सिंह ने कहा था कि 2016 मेरे भाई की हत्या कर दी गई थी लेकिन पुलिस ने टालमटोल कर केस बंद कर दिया। इसके बाद हमारे शुभचिंतक तारिक मोहम्मद की भी हत्या कर दी गई https://twitter.com/ANINewsUP/status/1016162299189579776 आइये जानते हैं कि कैसे प्रेम प्रकाश सिंह मुन्ना बजरंगी बना- प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी का जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था। प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी ने पिता पारसनाथ सिंह के स्वप्नों को धोखा देकर जुर्म की दुनिया में चला गया। हथियारों का शौकीन मुन्ना फिल्मों में जिस तरह एक नामी गैंगेस्टर को दिखाया जाता वो अपने आपको उसी रूप में देखना चाहता था। 17 साल की उम्र में ही जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहा रखने का पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद मुन्ना जुर्म के दलदल में धंसता चला गया। अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगे मुन्ना को जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का साथ मिल गया। 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी। इसके बाद उसने गजराज के इशारे पर ही जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना चेहरा बना लिया था। उसने पूर्वांचल में अपनी साख बढ़ाने के लिए90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। मुख्तार अंसारी के गैंग में काम करते हुए मुन्ना लगातार सीधे सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार को प्रभावित करने लगा था। पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था। लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते भाजपा विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे। उन पर मुख्तार के दुश्मन बृजेश सिंह का हाथ था। उसी के संरक्षण में कृष्णानंद राय का गैंग फल फूल रहा था। इसी वजह से दोनों गैंग अपनी ताकत बढ़ा रहे थे। इनके संबंध अंडरवर्ल्ड के साथ भी जुड़े गए थे। इसी दौरान एक और माफिया और राजनेता भाजपा विधायक कृष्णानंद राय मुख़्तार अंसारी के लिए चुनौती बनने लगा था। मुख्तार के दुश्मन बृजेश सिंह के संरक्षण में कृष्णानंद राय का गैंग फल फूल रहा था। इसी वजह से दोनों में गैंगवार भी हो रहे थे। इनके संबंध अंडरवर्ल्ड के साथ भी जुड़े गए थे। कृष्णानंद राय का बढ़ता प्रभाव मुख्तार को पचा नहीं पा रहा था। मुख्तार ने कृष्णानंद राय को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना बजरंगी को सौंप दी। जिसके बाद मुन्ना बजरंगी ने गाजीपुर के भंवरकौल थाना क्षेत्र के गंधौर में 29 नवंबर 2005 को दिन दहाड़े कृष्णानंद राय और उनके साथ चल रहे छह अन्य लोगों की दो गाड़ियों पर असाल्ट रायफल से 400 गोलियां मौत की नींद सुला दिया। पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थी। इस हत्याकांड के बाद पूरा उत्तर प्रदेश मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा। भाजपा विधायक की हत्या के अलावा उत्तर प्रदेश पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को सात लाख रुपये का इनामी मुन्ना बजरंगी की कई मामलों में तलाश थी। उस पर हत्या, अपहरण और वसूली के दर्जनों मुकदमे लद गए थे। उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं। लगातार अपनी लोकेशनबदलते रहने और पुलिसिया दबाव बढ़ने से उसका यूपी और बिहार में रहना मुश्किल हो गया था और फिर मुन्ना भागकर मुंबई चला गया। लेकिन 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने उसे अलग अलग जेलों में रख रही थीं मगर झांसी से बागपत जेल आए मुन्ना की अज्ञात परिस्थितियों में गोली मार कर हत्या कर दी गई।

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