Friday, April 19, 2024
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चीन की मंशा पर लगा विराम, अब भारत को NSG की जरूरत नहीं

SI News Today

China’s intention to stop the break. Now India no needs of NSG

      

अमेरिका ने भारत को अपने रणनीतिक साझेदार देश का दर्जा दिया है। अमेरिका का रणनीतिक साझेदार देश बनने के बाद भारत बिना NSG का सदस्य बने भी अमेरिका से वे सारे संवेदनशील हथियार व उच्च तकनीकी हासिल कर सकता है जो एनएसजी में शामिल होने के बाद ही हासिल होते है ।
चीन के विरोध की वजह से भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता के देशों का सदस्य नहीं बन पा रहा है । लेकिन फिर भी भारत एनएसजी में शामिल होने की अपनी कोशिश जारी रखेगा। 48 देशों के सदस्यों में चीन के अलावा बाकी देशो के सदस्यों ने भारत को NSG का सदस्य बनने के लिए हामी भर दी है ।

चीन की मंशा है कि भारत के साथ पाकिस्तान को भी इसमें शामिल किया जाए। लेकिन पाकिस्तान को सदस्यता देने को लेकर अधिकांश देश तैयार नहीं है।
चीन के अटकले डालने के बाद भी भारत बिना NSG का सदस्य बने भी सारी तकनीकों को हासिल कर सकता है। हांलाकि अमेरिका के इस फैसले के बाद भारत को NSG से बाहर रखने का कोई औचित्य नहीं है। क्योंकि अमेरिका NSG का सबसे अहम सदस्य है और वह संवदेनशील तकनीकी के अंतरराष्ट्रीय कारोबार की निगरानी का सबसे बड़ा समर्थक देश भी है। यही नहीं NSG के तहत जितनी भी संवदेनशील तकनीकों का हस्तांतरण होता है उसमें अमेरिका की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा रहती है। भारत को अब ये सारी तकनीक NSG में शामिल हुए बिना ही हासिल होगी क्योंकि अमेरिका ने उसे विशेष दर्जा दे दिया है। इससे भारत के लिए अब NSG की सदस्यता का दावा करना भी आसान होगा।

भारत पिछले कई वर्षों से NSG का सदस्य बनने दावेदारी पेश कर रहा है लेकिन चीन की वजह से इसमें कामयाब नहीं हो पा रहा था। लेकिन अमेरिका का रानीतिक साझेदार बनने के बाद भारत की ये दावेदारी और भी मजबूत हो गई है । अब भारत को चीन के आगे झुकना नहीं पड़ेगा । अमेरिका के इस निर्णय से चीन को भरी झटका लगा है । भारत के प्रति चीन के सारे मंशूबों पर पानी फिर गया है। भारत संवेदनशील हथियारों व तकनीकी पर प्रतिबंध लगाने के चार अंतरराष्ट्रीय समझौतों में से तीन (आस्ट्रेलिया ग्रूप, एमटीसीआर औऱ वासनार एग्रीमेंट) का सदस्य बन चुका है।

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