The memory of the Wonderful Untamed Invincible “Atal ji”
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निराशा के अंधकार में,
आशा का सबेरा दे गए।
जो पक्षी बिन पंख थे वे पखेरा दे गए,
पय बिन पनघट जैसे अकेला कर गए।
हो शिक्षा का अभियान, वेद हो या विज्ञान,
कुछ थे पाताल के अंदर तो कुछ अंबर में थे
धुरंधर किंतु अटल जी के कलाम थे जो हर परीक्षण कर गये।
अगले अनल संकट का सफल निरीक्षण कर गए।
रत्नावती भी भई गौरवान्वित कि संघराज्य के संघों में जब वे हिंदी पढ़ गए।
वो नेहरू जी के संग का व्यंग्य
उस प्रसंग और उस व्यग्य को वे नवेला कर गए।
आज राज की नीति के लिए
वे भिन्न उदाहरण धर गए।
स्नेह जैसी रीत हो
दूर रहकर भी प्रीत हो,
त्याग, बलिदान, गीत हो
हारकर भी जीत हो, ऐसा कोई संमगीत हो,
कुछ ऐसे सरगम साजो से अटल जी हमें भर गए।
अब क्या कहे इसके सिवा के अटल जी अमर रहे,
चले उनके पदचिन्हों पर हम
सदा-सर्वदा अटल रहें……
सदा सर्वदा अटल रहें….।
– आकांक्षा वर्मा