Friday, April 19, 2024
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जानिये शास्त्रीय नृत्य को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाने वाली रुक्मिणी देवी कैसे बनी रुक्मि़णी देवी अरुंडेल

SI News Today

From Rukmini devi, who gave International fame to classical dance, to  Rukmini Devi Arundale.

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि ऐसा कोई भी शहर नही है जहां नृत्य न किया जाता हो। जी हां भरत नाट्यम सीखने व सिखानें वालों की कोई कमी नही है। क्या आप जानते हैं कि शास्त्रीय नृत्य को ऊंचाईयों तक पहुंचाने में किस कलाकार का योगदान है। तो चलिए आज हम बताते हैं आपको उस कलाकार के बारे में जो प्रसिद्ध भारतीय नृत्यांगना थीं और जिन्होंने भरतनाट्यम में भक्तिभाव भरा व नृत्य की एक अपनी परंपरा आरम्भ की।

क्या आप जानते हैं कि 1920 के दशक में जब भरतनाट्यम को अच्छी नृत्य शैली नहीं माना जाता था और लोग इसका विरोध करते थे, तब भी इस भारतीय नृत्यांगना ने न सिर्फ इसका समर्थन किया था बल्कि इस कला को अपनाया भी था। इतना ही नही नृत्य सीखने के साथ-साथ उन्होंने कई सारे विरोधों के बाद भी इसे मंच पर प्रस्तुत किया था। दरअसल हम बात कर रहें हैं भरतनाट्यम की मशहूर डांसर रुक्मिणी देवी अरुंडेल के बारे में।

भारतीय नृत्य को आगे बढ़ाने व इसे ऊंचाईयों तक पहुंचाने वाली और भारतीय शास्त्रीय नृत्य के पुनरुत्थान करने के लिए जानी जाने वाली भरतनाट्यम की जानी-मानी मशहूर डांसर रुर्मिणी देवी अरुंडेल का जन्म 29 फरवरी सन 1904 में मदुरई की ब्राह्मण परिवार में हुआ था। साधीर नाम से जानी जाने वाली भारत नाट्यम की एक विधा को पहचान दिलाने का श्रेय ई. कृष्णा व रुक्मिणी देवी को जाता है। क्योंकि इन्होंने इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बुलंदियों तक पहुंचाया है। क्या आप जानते हैं कि उन्हें इसके लिए भारतनाट्यम डांसर के तौर पर शोहरत मिलने के साथ-साथ राज्य सभा के लिए मनोनीत भी किया गया। इतना ही नही रुक्मिणी देवी की रूचि बाल शिक्षा के क्षेत्र में भी थी। नई प्रणाली की शिक्षा का प्रशिक्षण देने के लिए उन्होंने हॉलेंड से मैडम मोंटेसरी को भारत आमंत्रित किया था।

गौरतलब है कि एक थियोसोफिकल पार्टी में रुक्‍मिणी देवी की मुलाकात जॉर्ज अरुंडेल से जब हुई। और उस समय तो जॉर्ज अरुंडेल डॉ. श्रीमती एनी बेसेंट के निकट सहयोगी थे। जब उन दोनो की मुलाकात हुई तो उसके दौरान ही जॉर्ज को रुक्‍मिणी से प्‍यार हो गया और उन्‍होंने 16 साल की उम्र में ही रुक्‍मिणी के सामने विवाह का प्रस्‍ताव रख दिया। जिसके पश्चात 1920 में दोनों ने विवाह कर लिया। और रुक्‍मिणी का नाम रुक्‍मिणी अरुंडेल हो गया।

दरअसल रुक्मिणी देवी को जानवरों से अत्यधिक प्रेम था। राज्‍यसभा सांसद बनकर उन्‍होंने 1952 व 1956 में पशु क्रूरता निवारण के लिए एक विधेयक का प्रस्‍ताव रखा था। जिसके बाद ये विधेयक 1960 में पास हो गया। और रुक्मिणी देवी 1962 से एनिमल वेलफेयर बोर्ड  की चेयरमैन भी रही थीं।

ऐसा माना डाता है कि उन्हें देश के पहले गैर कांग्रेसी पीएम मोरारजी देसाई ने राष्ट्रपति पद के लिए मनोनीत करने का भी विचार दिया था पर उन्होंने इसे बड़े ही सहजता के साथ मना कर दिया था। हालांकि उन्हें भारतीय नृत्य कला में उनके योगदान के चलते उन्हें 1956 में पद्म भूषण व 1967 में संगीत नाटक एकेडमी की फेलेशिप से नवाजा गया था। वहीं 1977 में मोरारजी देसाई ने रुक्मिणी देवी को राष्ट्रपति के पद की बात की थी, पर इन्होंने राष्ट्रपति भवन से ज्यादा महत्व अपनी कला अकादमी को देते हुए उनकी पेशकश को अस्वीकार दिया। बता दे कि रुक्मिणी देवी का निधन 24 फ़रवरी 1986 को चेन्नई में हुआ था।

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