Sunday, March 23, 2025
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अपनों को अपमानित कर वनवास भेज ,अब विरोधियो को शामिल कर पार्टी की साख बचने में लगे -अखिलेश

SI News Today

Source :Viwe Source

अशोक सिंह राजपूत–

विरोधियों से ट्विटर से संवाद करने वाले व टेक्नोलॉजी का महत्व समझने वाले सपा के नेतृत्व को समाजवादी पार्टी के उम्रदराज कीमती दरख्तों की जड़ों में खुदाई क़र मठ्ठा नहीं पानी से सिंचित करना होगा तब राजनैतिक सफलता और सत्ता के फल लाज़मी मिलेंगे; समाजवादी पार्टी के लखनऊ आगरा सम्मेलन के मौके पर

अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी का पहले लखनऊ में राज्य सम्मेलन और आगरा में ५ अक्टूबर को प्रतिनिधि सम्मेलन आयोजन होने जा रहा है इसबीच अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी से जानकारी मिल रही है कि बसपा मुखिया मायावती द्वारा निस्प्रभावित-निष्कासित बाद दर्जनों-नेता नया राजनैतिक-ठौर तलासते हुए समाजवादी में शामिल हो गए है और कुछ आगरा में शामिल होंगे, सुना है सपा सरकार के मुहैया रहे और कब्रिस्तानों की दीवाल खिंचवाने में मशगूलता कारण अखिलेश यादव राजनैतिक तेज खो चुके, ऐसे निस्प्रभावी बसपाइयों के सपा में शामिल की बाट २०१८ तक जोहते रहेंगे और नसीमुद्दीन जैसे अवसरवादियों के सहारे आगे २०१९ के लोकसभा चुनाव में सपा की सफलता का मुगालता पालना कितना फलदायी होगा सपा के हालिया नेतृत्व को समझ हो जाएगी,

मुलायम सिंह यादव की अगुवाई में समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में तीन बार सरकार बनी और एक बार बेटे अखिलेश को बम्पर बहुमत वाली उत्तर प्रदेश की सत्ता-सिहासन वाया अमर सिंह और आज़म खान सौंप दी जबकि समाजवादी पार्टी में आधा दर्जन मुख्यमंत्री पद के मजबूत दाबेदार थे और उनकी समाजवादी पार्टी गठन से पहले से राजनैतिक यात्रा में मुलायम सिंह यादव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया अब वह सभी अखिलेश से मिली उपेक्छा कारण बसपा और भाजपा में शामिल हो गए हैं, घर में जोगी की भूमिका में जबरिया पहुँचए गए मुलायम सिंह यादव जैसे राजनैतिक पहलवान की मेहनत की विरासत समाजवादी पार्टी को आज पहचान पाने में बेहद कठिनाई हो रही है और बसपा के निस्प्रभावित-निष्कासित नेताओं के शामिल से पार्टी को मजबूती की राह देखने वाले अपने संरक्छक मुलायम और जुगाड़ू शिवपाल को अखिलेश और रामगोपाल की जोड़ी द्वारा कनफुन्कियों के कहने और अपने अहम के बरक़रारी में समाजवादी कुनबे से विधान सभा चुनाव से पहले जबरिया बाहर के लिए नहीं धकेला जाता निश्चित ही अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी की इतनी राजनैतिक-दुर्गति और चुनावी-पराजय कदापि नहीं होती राजनैतिक विश्लेषक तथ्य को साफ़ मानते है,

यह तथ्य भी याद है उत्तर प्रदेश में कथित साम्प्रदायिक पार्टी संघ-भाजपा और खोंग्रेस को मुलायम के राजनैतिक कौशल से राज्य की सत्ता से २-३ दशक तक का बनबास मिलता रहा, लेकिन अखिलेश यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी के भीतर से ही मुलायम-शिवपाल को पूरे एक साल राजनैतिक तरीके से किनारे क़र जबरिया बनबास दे दिया उसका राजनैतिक परिणाम यह निकला कथित साम्प्रदायिक पार्टी भाजपा ने सपा की साइकिल को रास्ते में पंचर किया और बसपा के मजबूत हाथी को भी बिठवा डाला और तीन चौथाई से ज्यादा के बहुमत की योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश में भगवा सरकार बन गई जबकि अखिलेश से पहलेके सपा पर कब्जा जमाने से पहले सपा और बसपा उत्तरप्रदेश से बाहर मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली,पंजाब, वेस्ट-बंगाल और उत्तराखंड में चुनावी सफलता पायी और विधायक भी जीते, आगरा से सपा के आयोजित सम्मेलनों से पार्टी के सत्ता में पहुंचने का टोटका मान चुके राजनैतिक विरोधियों से ट्विटर से संवाद करने वाले व टेक्नोलॉजी का महत्व समझने वाले सपा के नेताओं को समाजवादी पार्टी के उम्रदराज कीमती दरख्तों की जड़ों में खुदाई क़र मठ्ठा नहीं पानी से सिंचित करना होगा तब राजनैतिकसफलता और सत्ता के फल मिलेंगे…..

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