एक नंबरी ‘एक्टर्स’ की फेहरिस्त बनाई जाए, तो मनोज बाजपेयी उसमें सबसे ऊपर होंगे। कमाल के फेस एक्सप्रेशंस। परफेक्ट डायलॉग डिलीवरी। चुनिंदा रोल्स। इन्हीं चीजों ने तो उनकी बॉलीवुड में अलहदा पहचान बनाई है। जब उनकी फिल्म आने वाली होती है, तो कंप्टीटर्स घबरा जाते हैं कि कहीं उनकी फिल्म के साथ डेट क्लैश न हो जाए। लेकिन क्या आपको पता है कि खुद मनोज किस चीज से खौफ खाते हैं। यह बात कम ही लोग जानते हैं कि वह किससे डरते हैं। इस बात का खुलासा ‘सत्या’ फिल्म के सेट पर हुआ। यह 1998 में रिलीज हुई थी और इसमें वह भीखू मात्रे बने थे। फिल्म में एक सीन था, जिसमें उन्हें एक पहाड़ी टीले के किनारे जाकर डायलॉग बोलना होता है।
सीन की शूटिंग से पहले मनोज घबराए हुए थे। मन ही मन सोच रहे थे कि इतनी ऊंचाई पर कैसे यह सीन शूट होगा। बाकी लोग भी इस बात से वाकिफ नहीं थे कि मनोज को ऊंचाई से डर लगता है। कैमरा रोल हो चुका था। डायलॉग बोलने की बारी आई। लेकिन वह किनारे जा ही नहीं पा रहे थे। उनके पांव कांप रहे थे।
फिल्म के डायरेक्टर राम गोपाल वर्मा थे। वह इस बात से परेशान नजर आ रहे थे। अचानक वहां सबको एक आइडिया सूझा। मनोज के पैर में रस्सी बंधवा दी गई, जिसे कई लोग पकड़े खड़े थे। सपोर्ट सिस्टम के तौर पर। फिर भी मनोज घबरा रहे थे। वह बार-बार अपने डायलॉग भूल जा रहे थे।
अंत में डायरेक्टर ने तरकीब दी। बोले- जो बोलना हो बोलो। हम बाद में डब कर लेंगे। सिर्फ अपने पांव न हिलने दो। कैरेक्टर कमजोर नहीं दिखना चाहिए। फिर क्या था, सीन शूट हुआ। मनोज बांहे फैलाकर चिल्लाने- मुझे उतारो, नीचे उतारो। हटाओ-हटाओ। नहीं तो मैं गिर कर मर जाऊंगा। बाद में इसे ” मुंबई का किंग कौन? भीखू मात्रे” वाला डायलॉग इस पर डब किया गया, जो आजतक मनोज बाजपेयी की पहचान बना हुआ है।