आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में अधिकतर लोगों के भोजन और निद्रा का चक्र गड़बड़ा गया है। महानगरों में बहुत सारे लोग न तो ठीक से नाश्ता ले पाते हैं और न दोपहर के भोजन पर उचित ध्यान दे पाते हैं। जब भूख लगती है, असमय कुछ न कुछ खाते रहते हैं। काम के दबाव में या फिर बोरियत दूर करने के लिए बहुत से लोग चाय पीते रहते हैं। इस तरह उन्हें जल्दी ही कब्जियत आ घेरती है। कब्जियत का अर्थ है, पेट का स्वाभाविक रूप से साफ न हो पाना। इसके चलते गैस, एसिडिटी और फिर बवासीर की समस्या पैदा हो जाती है। फिर धीरे-धीरे कई रोग जड़ें जमाना शुरू कर देते हैं। कहा भी जाता है कि कब्जियत सारे रोगों की जड़ है। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि कब्जियत से दूर रहें।
अपने खानपान और दिनचर्या पर थोड़ा-सा ध्यान देने से कब्जियत से पार पाया जा सकता है।
भोजन का समय निर्धारित करें
सुबह का नाश्ता आठ बजे तक कर लें। इसी तरह दोपहर के भोजन का समय तय कर लें और रोज तय समय पर भोजन करें। अगर सुबह का नाश्ता भारी लिया हुआ है, तो दोपहर का भोजन छोड़ा या सिर्फ फलाहार किया जा सकता है। रात का भोजन भी आठ बजे तक कर लेना चाहिए। आयुर्वेद के मुताबिक सूरज ढलने के साथ ही भोजन कर लेना अच्छा माना जाता है। जो लोग देर रात तक काम करते हैं, वे अक्सर देर रात को भोजन करते हैं, जिससे पाचनतंत्र में विकार पैदा होना शुरू हो जाता है। इससे बचने का प्रयास होना चाहिए। रात के भोजन का समय निर्धारित करें।
भोजन का तरीका
नाश्ते में ब्रेड-बटर जैसे तुरंता आहार से काम चलाने के बजाय भारी और ठीक से भोजन करें। दोपहर को हल्का भोजन करें। रात को जितना हल्का हो सके, भोजन लें। भोजन के कम से कम आधे घंटे बाद गरम दूध लें। रात को फल न खाएं तो अच्छा। अगर फल खाना हो तो उसे भोजन से कम से कम आधा घंटा पहले या फिर बाद में लें।
आमतौर पर सलाद अधिक खाने की सलाह दी जाती है। मगर समस्या यह है कि अधिकतर लोगों को सलाद बनाने की विधि पता नहीं है। सलाद एकदम कच्चा न खाएं। उसे भाप में थोड़ी देर पका लें तो बेहतर होगा। हमारे शरीर में अनेक कच्ची सब्जियों को पचाने का रसायन जल्दी नहीं बनता, इसलिए भी कब्जियत की समस्या पैदा होती है। जिन्हें कब्जियत की शिकायत हो, उन्हें इस बात का खासकर ध्यान रखना चाहिए।
भोजन ठीक से न पच पाने के कारण भी कब्जियत की समस्या पैदा होती है। भोजन के पचने की प्रक्रिया मुंह से ही शुरू हो जाती है। अगर ठीक से चबाए बगैर भोजन किया जाता है, तो उसे पचने में समस्या आती है। इसलिए भोजन करते समय स्थिर चित्त रहें और चबा-चबा कर खाएं। भोजन करते समय बात करने और टीवी देखने से उसे चबाने की प्रक्रिया मंद पड़ जाती है, इसलिए इससे बच सकें तो बेहतर।
पानी पीने का तरीका
आमतौर पर लोगों को पानी पीने का तरीका नहीं पता है। दिन भर में पांच-छह लीटर पानी पीने पर जो लोग ध्यान रखते हैं, उनमें से भी बहुत-से लोग नहीं जानते कि पानी कैसे पीना चाहिए।
– कभी भी खड़े-खड़े या चलते हुए पानी न पीएं। जहां तक हो सके, गरम या गुनगुना पानी पीएं। सुबह सोकर उठने के तुरंत बाद एक लीटर गरम या गुनगुना पानी पीएं। ठंडा पानी कभी न पीएं। जिन्हें कब्जियत की शिकायत है, उन्हें ठंडे पानी से परहेज करना चाहिए।
– भोजन के बीच में या भोजन के तुरंत बाद पानी कभी न पीएं। अगर प्यास लगी हो, तो भोजन से पहले बेशक पानी पी सकते हैं। भोजन के कम से कम चालीस मिनट बाद पानी पीएं।
भोजन के बाद टहलें
अक्सर लोग रात के भोजन के बाद सोफे पर पसर कर टीवी देखते या फिर बिस्तर पर चले जाते हैं। जो लोग देर रात तक काम से लौटते हैं, वे अक्सर भोजन के बाद सोने चले जाते हैं, ताकि सुबह समय से उठ सकें। मगर ऐसा करना कब्ज को निमंत्रण देना है। रात को भोजन के बाद कुछ देर अवश्य टहलें। बेशक कमरे में ही चहलकदमी कर लें।
तमाम व्यस्तताओं के बीच अगर सिर्फ भोजन को नियमित और संतुलित बनाने का अभ्यास कर लिया जाए, तो अनेक रोगों से दूर रहा जा सकता है।