Saturday, October 5, 2024
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केंद्र और राज्यों द्वारा पत्रकार सुरक्षा कानून का किर्यान्वयन बेहद जरूरी है

SI News Today

Source :Viwe Source

अशोक सिंह राजपूत -बालाघाट में संदीप कोठारी को जिंदा जला दिया गया, मुजफ्फरनगर में दंगाईयों ने राजेश वर्मा की छाती में गोलियों दागीं, आंध्र प्रदेश में एवीएन शंकर को पीटपीटकर मौत के घाट उतारा गया, बिहार के राजदेव रंजन पर बाहुबली सांसद गैंग ने गोलियों दागीं. ओडिशा में टीवी चैनल के स्ट्रिंगर तरूण कुमार आचार्य का गला रेता गया, बीजापुर में माओवादियों ने साई रेड्डी का कत्ल किया, रीवा में राजेश मिश्रा को स्कूल परिसर में लोहे की रॉड से मौत की नींद सुला दिया गया, चंदौली में हेमंत यादव को गोलियों से छलनी कर दिया गया…उनकी भी “दिल्ली प्रेस क्लब” को याद है?…

उपरोक्त सभी जान गवाने वाले पत्रकार विब्भिन राज्यों और जनपदों में पत्रकार थे. खबर लिखने की कीमत इन्हें जान देकर चुकानी पड़ी….इनकी मौत से कलमकारों की लेफ्ट-राइट करने वाले वरिष्ठ और गरिष्ठ मानी जाने वाली जमात का गुस्सा क्यों नहीं उबला…लखनऊ से सीनियर पत्रकार और अनुज Gyanendra Shukla की चिंता और उल्लेख बिलकुल जायज है,खबर लिखने कारण जान गवाने वाले पत्रकारों के लिए केंद्र और राज्यों द्वारा पत्रकार सुरक्छा कानून का किर्यान्वयन बेहद जरूरी है. मुलायम सिंह की अगुवाई वाले समाजवादी पार्टी सरकार में डेढ़-दशक पहले उत्तर भारत के प्रमुख अमर उजाला अख़बार के विरुद्ध एक पखवाड़े चलाया गया हल्ला-बोल में अख़बारों की जीपों को फूकना आज भी याद है, आज तक के नामचीन रिपोर्टर रहे अब आप के प्रवक्ता आशुतोष गुप्ता को कांशीराम का थप्पड़ मारने की घटना भी नई पीढ़ी की स्मृति में बनी रहे.

ऐसे ही बेंगलूरू की पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या को वाम और माओवाद के कारण से जस्टीफाई नहीं कर सकते हैं. ढाई-दशक की पत्रकारिता में मेरा साफ़ मानना है हिंदी-भासी मध्य और उत्तर भारत में दिल्ली को छोड़कर पत्रकारिता और पत्रकार गुंडों, माफियाओं और भ्रष्ट-नेताओं के खिलाफ मुखर होकर अपना काम करते हैं सशक्त लाॅबी का वो हिस्सा बनने की योग्यता उनमें होती नहीं है वैसे भी खालिस पत्रकार का कोई राजनैतिक आका नहीं है और ना ही हो में इस बात का पक्छ्धर हूँ, वैसे भारत-दिल्ली और दक्छिण के राज्यों में यह स्थापित हो गया है, लेफ्ट-राइट का गिरोह अपने को बौद्धिकता के पैमाने पर “एवरेस्ट” पर रखता है और वह हर-हाल में अपनी विचारधारा या एजेंडे के साथ सुविधा की पत्रकारिता करता होना सिद्ध हुआ है.

पत्रकारिता और पत्रकार किसी भ्र्ष्ट और विचारधारा के लिए षम नहीं विषम होता है तब उस पर हमला किया जाता है, हत्या की जाती है और हल्ला भी बोला जाता है…..

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