वीकेंड यानी छुट्टी का दिन. ऐसे दिन हम क्या ढूंढते हैं? आराम और एंटरटेनमेंट.शुक्रवार को फिल्में रिलीज इसीलिए होती हैं ताकि आप छुट्टी वाले दिनों में आराम से इस मनोरंजन का लुत्फ उठा सकें.
इस शुक्रवार को बॉलीवुड की 2 बड़ी फिल्में रिलीज हो रही हैं. मिलन लुथरिया की ‘बादशाहो’ और आर. एस प्रसन्ना की ‘शुभ मंगल सावधान’.
हम आपको बताते हैं इन दोनों फिल्मों के बारे में ताकि आप खुद चूज कर सकें कि इस हफ्ते आप कौन सी फिल्म पर अपने पैसे खर्च करना चाहेंगे. हालांकि इस हफ्ते रिलीज हो रही दोनों फिल्मों का फ्लेवर एक-दूजे से बिलकुल अलग है. इसलिए आप चाहें तो दोनों ही पकवानों को चख सकते हैं.
1. बादशाहो: एक बड़ी और स्टाइलिश स्टारकास्ट, पीरियड ड्रामा और कमाल के स्टंट्स. अगर आपको एक्शन और इतिहास से जुड़ी फिल्मों का शौक है तो ‘बादशाहो’ आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. फिल्म का ट्रेलर बहुत रोचक है.
6 बदमाश लोगों की कहानी और बैकड्राप में 1975 का इमरजेंसी काल.
एक 96 घंटों की ट्रक यात्रा और अथाह दौलत. फिल्म में एक से एक एक्टर्स मौजूद हैं. अजय देवगन, इमरान हाशमी, ईशा गुप्ता, इलियाना डीक्रूज, विद्युत् जामवाल और संजय मिश्रा के किरदार शुरुआत में एक दूसरे से अनजान हैं लेकिन एक लंबे सफ़र में इनकी दोस्ती फिल्म को किस मुकाम पर ले जाती है ये देखना रोमांचक होगा.
मिलन लुथरिया की फिल्मों में एक्शन का तगड़ा डोज होता है. यहां भी बेमिसाल एक्शन दिखने की गुंजाइश है. इमरान हाशमी ने एक इंटरव्यू में कहा है कि उनका यह किरदार लोगों को हमेशा याद रहेगा.
2. शुभ मंगल सावधान: ‘इरेक्टाइल डिसफंक्शन’ जैसी ‘जेंट्स प्रॉब्लम’ को बहुत हल्के-फुल्के और पारिवारिक अंदाज में दिखाती यह एक कॉमेडी-ड्रामा-रोमांटिक फिल्म है. जैसा कि ट्रेलर से समझ में आता है, एक साधारण से लड़के आयुष्मान और एक आम सी लड़की भूमि को एक दूसरे से प्यार हो जाता है.
प्यार के बाद उनकी शादी भी हो जाती है. लेकिन इस समस्या के कारण उनकी जिंदगियों में जो उतार-चढ़ाव आते हैं वो देखना रोमांचक हो सकता है.
फिल्म के निर्देशक का कहना है कि यह एक पारिवारिक फिल्म है जिसे हर उम्र के लोग देख सकते हैं. फिल्म को सेंसर बोर्ड ने U/A सर्टिफिकेट भी दे दिया है. अब ये देखना और दिलचस्प होगा कि एक संवेदनशील टॉपिक में कॉमेडी का तड़का किस तरह से लगाया गया है और अपनी बात दर्शकों तक पहुंचाने में निर्देशक और लेखक कितने सफल हुए हैं.
लेकिन एक बात के लिए फिल्म की तारीफ तो करनी चाहिए कि उन्होंने ‘इरेक्टाइल डिसफंक्शन’ जैसे मुद्दे को आम लोगों की बातचीत में शामिल कर दिया.