पीएम नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। हालांकि हो सकता है यहां मोदी-केजरीवाल के बीच टक्कर देखने को ना मिल पाए। दरअसल आम आदमी पार्टी गुजरात में चुनाव लड़ने के फैसले पर पुन: विचार कर रही है। गोवा व पंजाब के विधानसभा चुनाव और फिर दिल्ली के एमसीडी चुनावों में खराब प्रदर्शन करने के बाद गुजरात में चुनाव लड़ने को लेकर आम आदमी पार्टी विभाजित हो गई है। राज्य के प्रतिनिधित्वों के साथ दो दिन की ताबड़तोड़ मीटिंग के बाद भी पार्टी में एक राय नहीं बन पाई और पार्टी लीडरशिप किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। पार्टी की सबसे पावरफुल इकाई पॉलिटिकल अफेयर कमेटी अब इस मुद्दे पर अंतिम बैठक करेगी। यह बैठक आने वाले कुछ दिनों में होगी, जिसमें गुजरात में चुनाव लड़ने के फायदे और नुकसानों पर मंथन किया जाएगा।
पार्टी आलाकमान का एक धड़ा गुजरात चुनाव में उतरने के खिलाफ है। पार्टी से जुड़े एक सीनियर नेता ने कहा, “पंजाब और गोवा में जीत नहीं मिल सकी। गुजरात तो फिर भी मोदी और अमित शाह का गृह मैदान है। यहां तो और बड़ी चुनौती होगी। एक और हार मिली तो पार्टी के वालंटियर्स पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।” पार्टी के एक धड़े का कहना है कि वॉलंटियर्स पिछले दो साल से इस चुनाव की तैयारी कर रहे हैं और अखिरी समय पर चुनाव ना लड़ने के नतीजे से वो हतोत्साहित हो जाएंगे या हो सकता है किसी और पार्टी में शामिल हो जाएं।
आम आदमी पार्टी के लिए जीतन से अलावा एक अन्य चुनौती फंड की है। चुनाव लड़ने के लिए बड़ी मात्रा में फंड का इंतजाम करना होगा। बता दें कि कुछ समय पहले ही एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि AAP में अंदरखाने चर्चा हो रही है। इसमें कहा जा रहा है कि हर बात के लिए नरेंद्र मोदी को कोसना भारी पड़ रहा है। इसके इलावा गुजरात चुनाव से भी किनारा करने की बात सामने आई थी।