Friday, November 24, 2023
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नसीरुद्दीन शाह- मुसलमान आईएसआईस की निंदा नहीं करते

SI News Today

बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने देश में मुसलमानों की स्थिति पर कहा है कि मुझे याद नहीं है कि कैसे मुसलमानों को संदेह की नजर से देखना शुरू कर दिया गया कि वो देशभक्त नहीं हैं। नसीरुद्दीन शाह ने ये बात अंग्रेजी न्यूज पोर्टल हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में कही। नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि किसी नवजात मुसलमान बच्चे के कान में जो पहली आवाज जाती है वो या तो अजान की होती है या फिर कलमे की। मेरे कानों में कौन सी आवाज गई थी ये भी मुझे याद नहीं है। बॉलीवुड के इस मझे हुए एक्टर ने कहा कि मैं तो इस्लाम को अब फॉलो भी नहीं करता, दरअसल मैं और मेरा परिवार किसी धर्म के साथ नहीं बंधा हुआ है। मेरी पत्नी हिंदू है और जब हमारा बच्चा हुआ तो हमने ये तय किया कि हम स्कूल में उसके एडमिशन के समय रिलीजन वाला कॉलम खाली छोड़ेंगे। हालांकि प्रिंसिपल द्वारा आपत्ति जताने के बाद भी हमने वो कॉलम नहीं भरा क्योंकि हमें तो पता भी नहीं था कि हमारे बेटे का धर्म उस वक्त क्या था और पता नहीं आगे चलकर क्या होगा।

नसीर ने आगे कहा कि देशभक्ति कोई ऐसा टॉनिक नहीं है जिसे किसी के गले में जबरदस्ती डाला जाए। आज भारतीय मुसलमान सबसे कमजोर आर्थिक और शैक्षिक स्थिति में है लेकिन फिर भी उसके लिए आज सानिया मिर्जा की स्कर्ट की लंबाई इन सब बातों से ज्यादा मायने रखती है। आज का मुसलमान ISIS के पागलपन की निंदा नहीं करता है ठीक उसी तरह जैसे बहुत से हिंदू गौरक्षकों द्वारा किसी मुसलमान को मार दिये जाने की निंदा नहीं करते हैं।

नसीर ने ये भी कहा कि भगवा ब्रिगेड वालों ने ना सिर्फ अपने मन में ये बात बिठाई है कि सैकड़ों साल पहले लूटपाट करने आए आक्रमणकरी मुसलमान शासकों ने देश को नुकसान पहुंचाया बल्कि वो भारतीय मुसलमानों को दूसरा दर्जा देकर उन्हें सजा देने का मन बना रखा है। हम ‘आक्रमणकारियों के वंशज’ हैं, हालांकि हम में भी स्वदेशी खून है। कई पीढ़ियों बाद भी, हमारे अपेक्षित पूर्वजों के अपराधों के लिए मरम्मत करने की जरूरत है।

बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि भारतीय मुसलमानों के लिए वो वक्त आ गया है जब वो कठमुल्लों की दुनिया से बाहर निकलें और खुद तय करें कि उनके कुरान में क्या लिखा गया है। आज हिंदू और मुसलमान दोनों को जरूरत है कि वो खुद देखें कि क्या सही है और क्या गलत। उन लोगों की बातों में कभी ना आएं जो योगा को गैर इस्लामिक बताते हैं और सूर्य नमस्कार और नमाज को एक जैसा बताने पर हल्ला मचाते हैं।

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