सचिन बचपन में बेहद जिद्दी किस्म के थे। इसी जिद के चलते एक बार उनकी जान तक पर बन आई थी। सचिन ने इस घटना का जिक्र अपनी किताब ‘प्लेइंग इट माई वे’ में भी किया है। सचिन की किताब के पहले चैप्टर ‘चाइल्डहुड’ में सचिन बताते हैं कि बचपन में उनके दोस्तों के पास साइकिल थी लेकिन सचिन के पास नहीं। जब नन्हें सचिन ने पिता से अपनी इस इच्छा का इजहार किया तो पिता रमेश ने दिलासा देते हुए कहा कि वो जल्द एक साइकिल ला देंगे लेकिन उन्हें ही पता था कि आर्थिक तंगी के हालात में उनके लिए चार बच्चों को पालना तक मुश्किल है।
सचिन खुद बताते हैं कि ‘बिना इस बात को जाने कि पिता को इसके लिए क्या करना होगा, मैं साइकिल की जिद पर अड़ा रहा और साइकिल ना आने तक बाहर खेलने जाने से भी मना कर दिया।’ सचिन हफ्तेभर तक बाहर खलेने नहीं गए और रोजाना बालकनी में खड़े रहकर अपने दोस्तों को देखा करते। उनका घर चौथी मंजिल पर था, जिसकी बालकनी छोटी-सी थी। सचिन उसके ऊपर के हिस्से को देख नहीं पाते थे और इसी जिज्ञासा के चलते उन्होंने ग्रिल में सिर डालकर ऊपर देखना चाहा। लेकिन सचिन उस ग्रिल से अपना सिर बाहर नहीं निकाल सके। लगभग 30 मिनट तक वह ग्रिल में ही फंसे रहे। घरवालों को पता लगा तो बेहद परेशान हुए। मां तुरंत तेल लाई और सचिन के सिर पर खूब सारा तेल डाला गया। बेहद कोशिश करने के बाद उनका सिर ग्रिल से बाहर आया और सबकी जान में जान आई।
उनकी साइकिल को लेकर जिद को देखते और इस बात के डर से कि वो कहीं दोबारा ऐसा कुछ ना कर बैठें पिता ने किसी तरह पैसे जुटाकर सचिन के लिए नई साइकिल ला दी। लेकिन सचिन कभी ये नहीं जान सके कि पिता ने इसके लिए क्या किया था?
सचिन खुशी के मारे साइकिल लेकर घर से बाहर निकल पड़े और तेजी से उसे सड़क पर दौड़ाने लगे। कुछ घंटे बाद ही सचिन का साइकिल से एक्सीडेंट हो गया। उन्हें बाईं आंख के पास गहरा कट भी लगा। साथ ही शरीर के अन्य हिस्सों में भी चोटें आई। सचिन साइकिल उठाकर घर की ओर वापस लौट पड़े। घर पहुंचकर सचिन परिवार को ये जताने लगे कि उन्हें बस मामूली सी चोट आई है। लेकिन पिता को सब कुछ महसूस हो रहा था। घबराए पिता सचिन को तुरंत सर्जन के पास ले गए, जहां उनकी आंख के पास 8 टांके आए। इसके बाद पिता ने उन्हें सख्त निर्देश दिए कि जब तक वह पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते तब तक साइकिल नहीं चलाएंगे। सचिन वापस घर लौट आए और खुद की हरकत पर बेहद दुखी भी हुए।