Thursday, April 18, 2024
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रवीश कुमार बोले- साजिश के चलते नहीं जा पाया चंपारण

SI News Today

टीवी पत्रकार रवीश कुमार ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान 2017 में चंपारण न जाने का दर्द बयां करते हुए कहा कि जब वो गुजरात आ रहे थे तो कई लोगों ने सचेत किया कि संभलकर जाना। रवीश कुमार एक से तीन जून 2017 तक रामकथा वाचक मुरारी बापू की संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम सद्भावना पर्वः 8 में बोल रहे थे। रवीश कुमार ने कार्यक्रम में कहा कि उनके परिवार के खिलाफ साजिश की गई जिसकी वजह से वो गांधीजी के 1917 में चंपारण सत्याग्रह के 100 साल पूरे होने पर 2017 में बिहार नहीं जा सके। रवीश के भाई और पूर्व कांग्रेसी नेता बृजेश पाण्डेय पर एक सेक्स रैकेट में शामिल होने का आरोप लगा था।

रवीश कुमार ने कार्यक्रम ने कहा, “तीन कारण से आया हूं, एक तो इस जगह का नाम बहुत सुंदर है, महुआ। क्योंकि मैं खुद जिन अपार्टमेंट में रहता हूं उनके नाम से परेशान रहता हूं। ठेकेदार भी भारतीय हैं, मजदूर भी भारतीय हैं, हम भी रहते हैं, नाम अजीब अजीब है, किसी का नाम मोलीवू अपार्टमेंट है किसी का नाम सनब्रिज है तो समझ नहीं आता कि हमारे नाम कहां चले गए….इस नाम की वजह से आया कि खूबसूरत नाम वाली जगह है तो चलते हैं।”

रवीश कुमार ने आगे कहा, “दूसरी वजह बापू (मुरारी बापू) आप खुद हैं….तीसरी वजह ये साल है 2017, मैं चंपारण से आता हूं, पांच साल से इंतजार कर रहा था कि जब 2017 आएगा तो चंपारण जाऊंगा। पढ़ाई कर रहा था, सब चीज तैयारी कर रहा था लेकिन वहां एक साजिश रची गई और इस तरह फंसाया गया परिवारवालों को, कि नहीं गया। परिवारवालों को फंसाने का उतना दुख नहीं है जितना इस बात का है कि मैं चंपारण गांधी के 100वें साल में नहीं गया। शायद मेरी नियती में नहीं लिखा था, जाता तो लोग कहते कि पैरवी करने आया है, इन्फ्लूएंस करने आया है। तो फिर सोचा कि इस साल गुजरात चलते हैं जहां से बापू आए थे, वहां कोई नहीं कहेगा की मैं इन्फ्लूएंस करने आया हूं।

रवीश कुमार ने बताया कि जब वो गुजरात आ रहे थे तो कुछ लोगों ने उन्हें गुजारत आने के प्रति आगाह किया था। रवीश कुमार ने कहा, “आ रहा था तो लोग कहने लगे कि तुम गुजरात जा रहे थे तो संभलकर जाना।” रवीश कुमार ने कहा कि अगर वो इन धारणाओं की वजह से गुजरात नहीं आते तो इतनी अच्छी सभा में शामिल होने से रह जाते। रवीश ने कहा कि जब गांधीजी चंपारण आए थे तो हालात बहुत खराब थी, तब उन्होंने नहीं सोचा होगा कि संभलकर जाना।

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