।।एक सीख।।
बाप ही नहीं मिल एक अच्छा दोस्त बन कर।
डर मत दिखा साथ रह तू,उसके साथ भी हँसकर।
बाप ही नहीं मिल एक अच्छा दोस्त बन कर।
अगर समझ जाता है तू ये बात।
तो समझ लेगा मासूम के हर हालात।
क्या गुज़र रही है उसके साथ।
कैसें हैं उसके आज ख़यालात।
गर देख कर इस जालिम जमाने के हालात।
बता दे,दिखा दे,और समझा दे उसको अच्छे बुरे में अंतर।
बाप ही नहीं एक अच्छा दोस्त बनकर।
गर गलती हो कभी मत टेढ़ी कर अपनी नज़र।
ये जिम्मेवारी है तेरी की समझा उसको दोस्त बनकर।
कब कितना कमज़ोर है वो, समझ ले उसके अशकों में उतरकर।
आधार है तू,खड़ा कर उसको,उसकी रीढ बनकर।
विश्वास दिला की लड़ेगा हर उसकी मुसीबत से तू भी, उसके साथ डटकर।
सबके जैसा नहीं है तू, तू बाप है लेकिन ज़रा हटकर।
क्योंकि बाप ही नहीं तू तो रहता है उसका अच्छा दोस्त बनकर।
गर कभी आये मुसीबत खुद तुझपर।
रोक कर अपने अशकों को दिखा उसको मजबूत बनकर।
क्योंकि दोस्त के साथ दिखना है तुझे उसका बाप भी बनकर।
गर कभी झुंझला जाए तेरी बातों से वो उलझकर।
तब भी समझा उसको खुद उसका दोस्त बनकर।
और जब दिखें बुराईयां उसके मन के भीतर।
तब सामने आ उसका मजबूत बाप बनकर।
उससे सीख और खुद सिखा उसको जमाने के तजुर्बों के मंतर।
क्योंकि बाप ही नहीं तू तो रहता है उसका दोस्त बनकर।
(“पुष्पेंद्र प्रताप सिंह“) @Pushpen40953031