Thursday, March 28, 2024
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सिनेमा: प्राइमरी एजुकेशन पर बेस्ड ‘मास्साब’ में दिखेगी शिक्षा की हालत…

SI News Today

बच्चों को लेकर हिंदी सिनेमा पर हमेशा ही उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगता रहा है, लेकिन इधर फिल्मकार अब बच्चों को लेकर भी फिल्मों का निर्माण कर रहे हैं. राजस्थान फिल्म फेस्टिवल में बड़ी फिल्मों के बीच कई ऐसी छोटी-छोटी फिल्में भी शामिल होने के लिए पहुंची थी, जिनकी चर्चा मीडिया में बहुत कम सुनाई दे रही है. ऐसी ही एक फिल्म है ‘मास्साब’. ‘मास्साब’ आंचलिक भाषा का शब्द है जिसका मतलब टीचर होता है.

बुंदेलखंड में शूट हुई ‘मास्साब’ की कहानी एक ऐसे शिक्षक के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक गांव के सरकारी स्कूल को मॉडल स्कूल में तब्दील कर देता है. ये फिल्म उच्च आदर्शों वाले एक ऐसे नायक का खाका बुनती चली जाती है, जिसके लिए शिक्षा कमाई का जरिया नहीं बल्कि अंधेरा दूर करने का माध्यम है.

फिल्म प्राइमरी एजुकेशन पर बात करती है और संभवतः यह ऐसी पहली हिंदी फिल्म है जो पूरी तरह से प्राइमरी एजुकेशन के इर्द-गिर्द ही घूमती है. फिल्म के जरिए उन सवालों को उठाने की कोशिश की गई है जो प्राइवेट स्कूलों के दौर में धीरे-धीरे भारत की मुख्य राजनीति से भी गायब होते जा रहे हैं.

फिल्म को तेलुगू सिनेमा के जाने-माने अभिनेता आदित्य ओम ने निर्देशित किया है. इससे पहले आदित्य हिंदी में ‘बंदूक’ और हॉलीवुड के लिए ‘दि डेड एंड’ नाम की फिल्म भी निर्देशित कर चुके हैं.

राजस्थान फिल्म फेस्टि​वल में झटके तीन अवॉर्ड
फिल्म की अभी गोवा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल और राजस्थान फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीनिंग हुई है. राजस्थान फिल्म फेस्टिवल में ‘कड़वी हवा’, ‘न्यूटन’ और ‘मुक्तिभवन’ जैसी चर्चित फिल्मों के बीच फिल्म को 3 अवॉर्ड मिले हैं. पहला अवॉर्ड फिल्म में लीड रोल प्ले करने वाले अभिनेता शिवा सूर्यवंशी को ​मिला है. शिवा की यह पहली फिल्म है और इसमें उन्होंने स्कूल टीचर का किरदार निभाया है. शिवा को बेस्ट डेब्यू का अवॉर्ड मिला है. इसके अलावा स्पेशल क्रिटिक अवॉर्ड में फिल्म को बेस्ट फिल्म चुना गया है. तीसरा अवॉर्ड फिल्म के हिस्से डायरेक्टर्स एप्रीसिएशन के रूप में आया है.

कौन हैं आदित्य ओम
आदित्य ओम तेलुगू सिनेमा में जाना पहचाना नाम है. 2002 में आई फिल्म ‘लाहिरी लाहिरी लाहिरिलो’ के जरिए आदित्य को तेलुगु सिनेमा में पहचान मिली. तेलुगु फिल्मों के मशहूर डायरेक्टर वाईवीएस चौधरी ने आदित्य को तेलुगु सिनेमा में इंट्रोड्यूज किया और इसके बाद उन्होंने तकरीबन 2 दर्जन फिल्मों में अभिनय किया. वाईवीएस चौधरी ने ही अभिनेत्री इलियाना डिक्रूज को भी फिल्मों में पहला ब्रेक दिया था.

छोटी फिल्मों का संकट
आदित्य इस फिल्म के प्रोड्यूसर भी हैं. ‘मास्साब’ को लेकर आदित्य का कहना है कि आज की डेट में मीनिंगफुल सिनेमा बनाना आसान नहीं रह गया है. इस तरह के सब्जेक्ट्स के साथ बिना बड़ी स्टारकास्ट के प्रोड्यूसर्स को अप्रोच करना भी मुश्किल है. प्रोड्यूसर्स इस तरह के सब्जेक्ट्स के बजाय साधारण कमर्शियल फिल्म पर पैसा लगाना ज्यादा पसंद करते हैं. लिहाजा ऐसे में मीनिंगफुल सिनेमा बनाने के लिए किसी भी क्रिएटिव फिल्ममेकर के पास एक ही उपाय रह जाता है कि वो खुद की सेविंग्स से ही अपने मन के सब्जेक्ट्स पर काम करे. फिल्ममेकिंग को महंगा बताते हुए वो कहते हैं कि आज फिल्म निर्माण से ज्यादा पैसा पब्लिसिटी और स्टार प्राइज पर खर्च करना पड़ता है.

‘मास्साब’ और फिल्म फेस्टिवल
फिल्म में स्थानीय कलाकारों ने भी काम किया है. फिलहाल फिल्म को फिल्म फेस्टिवल्स में दिखाया जा रहा है और जून में इसके मेकर फिल्म को रिलीज करने का मन बना रहे हैं. गौरतलब है कि इन दिनों अधिकांश छोटे बजट की फिल्में पहले फिल्म फेस्टिवल्स में प्रदर्शित की जा रही हैं, जिससे इनकी विषयवस्तु और अन्य बातों पर चर्चा हो सके. कुल मिलकर फिल्म निर्माण से टिकट खिसकी तक फिल्म की जर्नी उतनी आसान नहीं, जितनी आसानी से लोग फिल्म के बारे में राय बना लेते हैं.

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