तेरे गालों की सुर्खियों की वजह है गुलाबी।
और इन बेहिसाब गलतियों की सज़ा है गुलाबी।
तेरे बालों की खुशबुओं की फिज़ा है गुलाबी।
और इस बेनकाब चेहरे की हर खता है गुलाबी।
इस लफ्ज़ से इकरार का रंग है गुलाबी।
और इस मोहब्ब्त को ठुकराने का तेरा ढंग है गुलाबी।
तेरे दिल को भेजा हर पैगाम है गुलाबी।
और मेरे कत्ल का तेरे पास पुख्ता इंतजाम है गुलाबी।
शाहजहां के ताज की हर आयत है गुलाबी।
और मुमताज़ के दिल की भी रुबायत है गुलाबी।
नफरत के चिंगारी की आग है गुलाबी।
और मोहब्ब्त के सुर का हर राग है गुलाबी।
खुसरों की नज़्मों के हर अल्फ़ाज़ हैं गुलाबी।
और देख मेरे हर्फ के भी जज़्बात हैं गुलाबी।
जंग में मुकर्रर हर जीत है गुलाबी।
इश्क में प्रीत के हर गीत हैं गुलाबी।
होली के हर रंग की मिठास है गुलाबी।
और आज भी तेरे आने की आस है गुलाबी।
इश्क़ में फतह का जश्न है गुलाबी।
टूट कर बिछड़ने की रस्म है गुलाबी।।
तेरी इबादत तेरी इनायत तेरी वफ़ाएँ हैं गुलाबी।
तेरे जुल्फों से निकलती धूप और उसकी फिजायें हैं गुलाबी।
सुबह की ताजगी और हर शाम है गुलाबी।
और तेरे इश्क़ में मिट जाने का इल्जाम है गुलाबी।।
“पुष्पेंद्र प्रताप सिंह”