लखनऊ: स्टैंड अप कॉमेडियन राजीव ठाकुर हाल ही में अपने नए शो ‘तेरा बाप मेरा बाप’ के प्रमोशन के लिए लखनऊ में थे। इस विजिट के दौरान उन्होंने मजाकिया अंदाज में अपनी लाइफ की स्ट्रगल को बयां किया।
चपरासी थे राजीव, यूं निकाले गए थे नौकरी से
– अपना स्ट्रगल बताते हुए राजीव कहते हैं, “घर की हालत देखते हुए मैंने 10वीं पास करते ही पार्ट टाइम जॉब तलाशना शुरू कर दी थी। पहली जॉब मुझे एक चपरासी की मिली। मेरी सैलरी 6-7 हजार रुपए तय हुई थी।”
– “मैं बहुत खुश था, लगा कि अच्छे दिन आएंगे। मेरे घर फ्रिज नहीं था। मैंने सोचा तीन महीने की सैलरी से फ्रिज तो खरीद ही लूंगा। किस्मत से पहले ही वीकॉफ पर मैं बीमार पड़ गया और उन्होंने मेरी जगह किसी और को रख लिया। मेरे सपने वहीं टूट गए।”
– पहली जॉब छूटने के बाद राजीव ने अपने मामा का बिजनेस ज्वाइन किया था। उन्होंने बताया, “मेरे मामा कपड़ों पर मीनाकारी का बिजनेस करते थे। मैंने वो काम सीखा और उनके यहां मजदूर बनकर मीनाकारी करने लगा। पहले महीने उन्होंने मुझे बतौर सैलरी 600 रुपए और एक पेंट दिए थे। वह मेरी पहली कमाई थी। उन पैसों से पापा ने मेरा बैंक अकाउंट खुलवा दिया था। जब ओपन हुआ था, मैं बहुत खुश था, लेकिन अब उसी अकाउंट को लेकर सीए मुझे हर दिन परेशान करता है।”
पापा ने गिफ्ट की थी लेडीज साइकिल, दोस्त उड़ाते थे मजाक
– खुद की पहली गाड़ी के सवाल पर भी राजीव मजाक करने से नहीं चूके। उन्होंने कहा, “आपने मेरी दुखती रग पर हाथ रखा है। मैं पहली कार नहीं, पहली साइकिल से शुरू करूंगा।”
– “स्कूल टाइम में साइकिल का शौक चढ़ा था। मेरा एक दोस्त अपनी नई साइकिल 200 रुपए में बेच रहा था। मैंने पापा को बोला कि मैं घर का सारा काम कर दूंगा, मुझे साइकिल दिला दें। उन्होंने दिला दी। पापा ने दिला दिया। कॉलेज में एडमिशन लिया तो मैं रेंजर साइकिल की जिद करने लगा। पापा ने पूछा- कैसी दिखती है वो। मैंने कहा- हैंडल सीधा होता है। वो मेरी बात मानकर सीधे हैंडल की साइकिल ले आए। वो एक लेडीज साइकिल थी।”
– “पहले दिन अपनी लेडीबर्ड साइकिल से कॉलेज पहुंचा, दोस्तों ने खूब मजाक उड़ाया। फिर अगले दिन से मैं घर से उस साइकिल पर निकलता, फिर रास्ते में उसे एक रिलेटिव के घर छोड़कर पैदल कॉलेज जाता।”
पत्नी ने कहा बाइक खरीदो, मैंने कहा लिपस्टिक लगाना छोड़ दे
– राजीव बताते हैं, “साइकिल कांड के बाद मैंने अपनी सेविंग्स से सेकंड हैंड हीरो-पुक खरीदी, ढाई हज़ार रुपए में। तब तक थिएटर करने लगा था। एक कॉलेज में थिएटर की क्लासेस देने की जॉब मिली। तीन महीने का अग्रीमेंट था, जिसमें मुझे 15 हजार रु. मिले थे। उन पैसों से मैंने अपने पैसों से नई वेस्पा स्कूटर खरीदी।”
– “पहली गाड़ी तो खरीद ली, लेकिन उसके तीन महीने बाद ही मेरी शादी हो गई। पत्नी ने बाइक की डिमांड करना शुरू कर दी। वो बोलती- मुझे स्कूटर पसंद नहीं। मैंने कहा- ठीक है, बाइक खरीद लूंगा, लेकिन फिर तुझे लिपस्टिक-पाउडर के पैसे नहीं दूंगा। मंजूर हो तो बोल। वो मान गई और मैंने नई बाइक खरीद ली।”
अब मर्सडीज से चलते हैं राजीव, ऐसे चमकी किस्मत
– अपनी कॉमेडी से पहचान बनाने वाली राजीव अब मर्सडीज कार से चलते हैं। यह मुकाम उन्होंने अपनी मेहनत से हासिल किया है।
– वे बताते हैं, “मैं कॉलेज के दिनों से ही दोस्तों से मजाक करता था, चुटकुले सुनाता था। तब पता भी नहीं था कि यह एक कला है, जिसे स्टैंड-अप कॉमेडी कहते हैं। मुझे लोग ‘गेस्ट आइटम’ कहकर बुलाते थे।”
– “जब लाफ्टर चैलेन्ज-1 आया, तब पता चला कि कॉमेडी से मशहूर भी हो सकते हैं। अमृतसर में हुए ऑडिशन में शामिल हुआ, लेकिन सिलेक्शन नहीं हो सका। दूसरे साल भी ऑडिशन दिया, लेकिन फेल हो गया। तीसरी बार में किस्मत चमकी और मैं सिलेक्ट हो गया।”