जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारूख अब्दुल्ला ने जी मीडिया के कार्यक्रम में भावुक हो गए. फारूख अब्दुल्ला ने कहा, ‘मैं मुसलमान हूं, पर न जानें क्यों मुझे राम से बहुत लगाव है.’ कार्यक्रम में फारूख ने एक भजन गुनगुनाया, जो कुछ इस प्रकार है-:
‘मोरे राम…जिस गली गयो मोरे राम, जिस गली गयो मोरे राम,
मोरा आंगन, सुना-सुना, जिस गली गयो मोर राम,
मोरे श्याम, जिस गली गयो मोरे राम,
सखी-सखी ढूंढो कहां गयो मोरे राम।
फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि हिंदू मुझे मुसलमान तो मुसलमान मुझे हिंदू समझते हैं. इससे पहले फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर समस्या का हल जरूर निकलेगा, लेकिन यह कब निकलेगा, यह सिर्फ परवरदिगार का पता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम PoK को वापस नहीं ले सकते. कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ बंद नहीं हो सकती. अमन और शांति के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत ही एकमात्र रास्ता है. बिना बातचीत के कश्मीर में अमन नहीं होगा. इस बातचीत से ही घुसपैठ रोकी जा सकती है. हालांकि यह भी कहा कि कश्मीर, भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा. हमें धर्मों को जोड़ने की बात करनी होगी. बांटने की राजनीति से बचना होगा. पत्थरबाजों के मसले पर बोलते हुए कहा कि मेरे पास उनको रोकने की ताकत नहीं है. हालांकि सवालिया लहजे में पूछा कि भारत, पाकिस्तान से बात क्यों नहीं कर सकता? कश्मीरी पंडितों के सवाल पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी वापसी कश्मीर में जरूर होगी.
अपने बारे में बोलते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मैं स्पष्टवादी हूं. मुझे सपने नहीं आते, शायद मैं अजीब हूं. मुसलमान मुझे हिंदू समझते हैं. हिंदू समझते हैं कि मैं मुसलमान हूं. कश्मीरी पंडितों को हमने भारत में लाने की कोशिश की. मेरे जीवन का मंत्र ‘जियो और जियो देने’ का है.