Friday, March 29, 2024
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आज से महापर्व का आगाज- पूरा शहर बोलेगा गणपति बप्पा मोरया

SI News Today

Ganapati Bappa Morya will say the whole city from today.

  

बरेली।

सितंबर महीने के आते ही गणेश जी का स्वागत करने के लिए पूरा देश तैयार है। इस पर्व की शुरुआत महाराष्ट्र से हुई थी तत्पश्चात प्रचलित होते होते इस पर्व को सभी प्रदेशों के साथ साथ कई देशों में भी महापर्व के रुप मे मनाया जाता है।इस साल गणेश चतुर्थी का उत्सव 13 सितंबर से 23 सितंबर तक मनाया जाएगा गणेश चतुर्थी पर लोग अपने घरों में भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करते हैं देशभर में भक्तगण भगवान गणेश की जगह जगह पूजन करने के लिए बड़े-बड़े पंडाल लगाकर सुंदर-सुंदर झांकियों को निकालकर गुलाल खेलकर, गणपति बप्पा मोरया के जयकारों लगाकर बड़ी धूमधाम से मनाते है। बरेली के कई प्रांगड़ो में यह महापर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है जिसमे भगवान गणेश को जी को सुंदर वस्र-आभूषणों पहनाकर मोदक का भोग लगाया जाता है मोदक भगवान गणेश जी का बहुप्रिय भोग है।

क्यो मानते है गणेश चतुर्थी –
पंडित अतुलेश्वर सनाढ्य नेबताया कि हिन्‍दू मान्‍यताओं के अनुसार भाद्रपद यानी कि भादो माह की शुक्‍ल पक्ष चतुर्थी को भगवान गणेश का जन्‍म हुआ था. उनके जन्‍मदिवस को ही गणेश चतुर्थी कहा जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह त्‍योहार हर साल अगस्‍त या सितंबर के महीने में आता है। इस बार 13 सितंबर को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। गणेश चतुर्थी की शुरुआत 13 सितंबर से हो रही है जोकि 23 सितंबर तक चलेगी। गणेश चतुर्थी में गणेश जी की पूजा होती है। गणेश उत्सव भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतर्दर्शी तक यानी दस दिनों तक चलता है। गणेश चतुर्थी के दिन लोग गणपति बप्पा की घर में स्थापना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो इन 10 दिनों बप्पा धरती पर निवास करते हैं। कुछ लोग गणपति 1 दिन रखते है कोई तीन, पांच और सात, तो कोई पूरे 10 दिन के बप्पा को घर में स्थापित करते हैं। गणपति की कृपा साल भर पाने के लिए लोग घर में गणपति को स्थापित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि गणेश भगवान कैलाश पर्वत छोड़कर धरती पर सिर्फ इसलिए आते हैं जिससे वह अपने भक्तों को आशीर्वाद दे सकें।

क्या है विशेष मुहर्त-
गणेश चतुर्थी वाले दिन भगवान गणेश जी को सुबह सुबह स्नान कर विशेष मूहर्त में गणेश जी की प्रतिमा को नारंगी सिंदूर लगाकर भगवान गणेश का बहुप्रिये भोजन मोदक का भोग लगाकर विधिवत पूजा करने से भक्तों को मन चाहे फल की प्राप्ति होंगी।

बरेली के पुस्तैनी मूर्तिकार पिंटू पाल ने बताया- बरेली में यह काम वो सालों से करते आ रहे है उन्होंने बताया मेरे पिता जी भी मूर्तियो को बनाने का काम किया करते थे और मैं भी कई सालों से मूर्तियों को बना रहा हूं और अपने बच्चों को भी यही काम सिखा रहा हूँ। मूर्तिकार पिंटू पाल ने बताया कि वी मूर्तियों को बनाने के लिए पोखर,जलाशय वाली काली,पीली माटी का प्रयोग करते है और उस पर करने वाला रंग भी वह घर मे ही खाने में प्रयोग आने वाला अरारोट से बनते है जोकि कैमिकल रहित होता है जिससे मूर्ति विसर्जन के बाद गंगा को दूषित होने से रोका जा सकता है क्योंकि पास्टर ऑफ पेरिस से बनाई गई मूर्तियों को गंगा में प्रवहा करने से गंगा का जल प्रदूषित हो जाता है जोकि बहुत निंदनीय है। उनके द्वारा बनाई गई बरेली बरेली में हजारों छोटी बड़ी मूर्तियों सेल हो चुकी है मूर्तिकार पिंटू के पास 1 फ़ीट की छोटी मूर्ति से लेकर 7 फ़ीट की बड़ी बड़ी मूर्तियां है जिनकी कीमत एक हजार से लेकर 12 हजार तक है उनके पास सबसे बड़ी मूर्ति 10 फ़ीट की है।बरेली में लगभग सौ बड़ी मूर्तियों का ऑडर हमारे पास तैयार है, पिंटू ने यह भी बताया कि साल दर साल गणेश की प्रतिमाओं की सेल लगातार बढ़ती जा रही है।

13 सितंबर मध्याह्न गणेश पूजा का समय –
धार्मिक मान्यता है कि गणेश जी की पूजा करने से किसी भी शुभ कार्य में कोई विघ्न, बाधा नहीं आती है। इसलिए हर कार्य में सबसे पहले गणपति की पूजा करने का विधान है।इस साल विशेष पुजन मुहर्त 11:03 से 13:30 तक का विशेष फलित है। जो भक्त गण इस विशेष मुहर्त में भगवान गणेश जी का पूजन करेंगे उनको मनचाहे फल की प्राप्ति होगी।

Reprted By- प्रदीप कुमार शर्मा

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