Thursday, March 28, 2024
featuredगोण्डामेरी कलम से

।।इल्ज़ाम।।

SI News Today

।।इल्ज़ाम।।

एक इल्ज़ाम है मुझ पर, मैं रुख मोड़ लेता हूँ।

मोहब्बत के इस दरिया में साथ यूँ छोड़ देता हूँ।

किसी के डूबने के दर्द का तब एहसास होता है।

खुद की नाकामियों को सोच,जब जज़्बात रोता है।

इस इल्ज़ाम को अपने सर अब कब तक उठाऊं मैं।

पराये दर्द से अपनो को,कब तक रुलाऊँ मैं।

थक गया यूँ चलकर,वक़्त के साथ नहीं हूं मैं।

एक पत्ता हूँ पतझड़ का सावन की बरसात नहीं हूं मैं।

उसे समझा उसे जोड़ा अब खुद भी टूट गया हूँ मैं।

छोटी सी ज़िंदगी में कहीं पर छूट गया हूँ मैं।

खुद को ढूंढने में अगर इतना वक़्त लगाऊंगा।

खुद को ढूंढ तो लूंगा मगर तन्हा रह जाऊंगा।

मेरे हालात को समझो मेरे ज़ज़्बात को समझो।

गलत इल्ज़ाम है मुझ पर मेरी इस बात को समझो।।

 

(“पुष्पेंद्र प्रताप सिंह“)

SI News Today
Pushpendra Pratap singh

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