Friday, March 29, 2024
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मध्यप्रदेश के रायसेन की महिलाओं ने साबुन से धो डाली गरीबी

SI News Today

In Raisen Madhya Pradesh women washed their poverty with soap.

      

मध्यप्रदेश के रायसेन की156 ग्रामीण महिलाओं ने मिलकर साबुन बना कर अपनी आजीविका का हल तो निकला ही साथ लोगो के लिए एक मिसाल के रूप में सामने आई । ये महिलाये गरीबी औरबीमारियों के विरुद्ध अपनी लड़ाई खुद ही लड़ रही हैं। इनके द्वारा बनाये गए साबुन से न सिर्फ इनका घर चलता है बल्कि जिले में स्वच्छता- स्वास्थ्य का ब्रांड बन गया है। अब तो प्रशासन ने भी स्वच्छ भारत अभियान के तहत अब सरकारी प्राइमरी एवं मिडिल स्कूलों के छात्र-छात्राओं के हाथ धुलाने के लिए जनपद शिक्षा केंद्रों को स्कूलों में आजीविका साबुन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। इससे जहां बच्चों में बीमारियों का अंदेशा कम होगा, वहीं बच्चे स्वच्छता के प्रति प्रारंभिक स्तर पर ही जागरूक होंगे।

इस समूह का गठन राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन) द्वारा किया गया है। ग्रामीण महिलाएं इनमें बढ़ चढ़ कर आगे आ रही हैं। और अपने साथ साथ परिवार की भी आर्थिक स्थित को मजबूत बनाने में मदद कर रही है । 50 ग्राम वजनी इस साबुन की कीमत 18 रुपए रखी गई है। ये चंदन, मोगरा, नीबू, गुलाब और एलोवेरा फ्लेवर बनाये जाते है  । जिले भर के सभी शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों के अलावा यह साबुन फुटकर एवं थोक में भी बिक्री के लिए उपलब्ध कराया गया है।जिससे साढ़े चार लाख रुपए से भी अधिक की कमाई हो चुकी है।आजीविका साबुन का इस्तेमाल सरकारी कर्मचारी, जनप्रतिनिधि और आम ग्रामीण भी कर रहे हैं। साबुन निर्माण के लिए सिर्फ एक घंटे के प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। एक घंटे में करीब 100 साबुन का निर्माण होता है।

मप्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, रायसेन के जिम्मेदार अधिकारी डॉ. एसडी खरे कहते हैं, इस साबुन के जरिये जिले में स्वच्छता का संदेश भी दिया जा रहा है। यह साबुन शहरी-ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता -स्वास्थ्य का चर्चित ब्रांड बन गया है। आजीविका मिशन समूह की विमला तिवारी बताती हैं, गत दो माह में एक हजार साबुन बनाकर लगभग पांच हजार रुपए का मुनाफा हुआ है। स्कूलों में सप्लाई के अलावा हमारे द्वारा गांवों की छोटी-बड़ी दुकानों पर भी साबुन बेचा जा रहा है।

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