बीजेपी के वंशवादी राजनीति के विरोध के बीच पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख बी. एस. येदियुरप्पा के बेटे को विधानसभा चुनाव में टिकट देने की स्थिति में इसके खिलाफ पार्टी की लड़ाई ‘कमजोर’ पड़ जाती. यह बात शुक्रवार को बीजेपी महासचिव मुरलीधर राव ने कही.
राव ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि 12 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव में कर्नाटक के लोग पार्टी के पक्ष में मतदान करेंगे.
उन्होंने कहा कि 224 सदस्यीय विधानसभा में 150 सीटों का लक्ष्य हासिल करना ‘कठिन कार्य नहीं होगा.’
राव ने कहा कि पार्टी वंशवादी राजनीति के खिलाफ लड़ रही है.
उन्होंने कहा, ‘… ऐसा नहीं है कि हमने किसी को (पिता-पुत्र) को टिकट नहीं दिया है लेकिन सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक और उनके बेटे या बेटी को टिकट देना अलग बात है और येदियुरप्पा के बेटे को टिकट देना अलग बात है.’
पार्टी के एक सत्र के दौरान उन्होंने कहा कि येदियुरप्पा ने कहा कि ‘इससे वंशवादी राजनीति के खिलाफ बीजेपी की लड़ाई कमजोर हो जाती.’
राव ने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने ‘दो जोड़ एक’ की नीति अपनाई जो दो विधानसभा क्षेत्रों – बादामी और चामुंडेश्वरी से चुनाव लड़ रहे हैं और उनका बेटा यतिन्द्र वरुणा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहा है.
राव ने कहा, ‘इससे लड़ाई में येदियुरप्पा ने महसूस किया कि यह छोटा बलिदान है. येदियुरप्पा और बीजेपी की सोच एक जैसी है.’
नामांकन पत्र दाखिल करने की समयसीमा के अंतिम क्षण में येदियुरप्पा ने 23 अप्रैल को घोषणा की थी कि उनके बेटे विजयेन्द्र वरुणा सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगे और इसके बजाए यतिन्द्र के खिलाफ पार्टी के किसी साधारण कार्यकर्ता को टिकट दिया जाएगा.