Tuesday, September 10, 2024
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….तब फारुख शेख और शबाना आजमी ने इस तरह बुलंद किया हिंदी का झंडा, जानिए

SI News Today

फारुख शेख ने फिल्म ‘शतरंज के खि‍लाड़ी’, ‘उमराव जान’, ‘कथा’, ‘बाजार’, ‘चश्म-ए-बद्दूर’, ‘क्लब 60’ और कई बेहतरीन फिल्मों में अपने सादगी भरे अभिनय से लोगों का दिल जीता है। वहीं फारुख शेख ने एक्ट्रेस शबाना आजमी के साथ फिल्म ‘लोरी’, ‘अंजुमन’, ‘एक पल’ और ‘तुम्हारी अमृता’ जैसी कई बे‍हतरीन फिल्मों में काम किया है। कॉलेज के दिनों से फारुख शेख थिएटर में काफी एक्टिव थे और उनका साथ देती थीं शबाना आजमी। चलिए आज हम आपको फारुख शेख और शबाना आजमी से जुड़ा एक रोचक किस्सा बताते हैं। जब अग्रेंजी थिएटर के लिए कॉलेज से सारी सुविधाएं मुहैया होती थीं लेकिन ये दोनों अपनी जेब से हिंदी थिएटर चलाते थे।

दरअसल यह वाकया उन दिनों का है जब फारुख शेख और शबाना आजमी एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। उन दिनों कॉलेज में सिर्फ अग्रेंजी थिएटर चलता था। तब फारुख शेख ने खुद हिंदी थिएटर तैयार किया था। अग्रेंजी थिएटर को कॉलेज की तरफ सारी सुविधाएं मिलती थीं। यहां तक कि थिएटर चलाने के लिए अलग से फंड दिया जाता था लेकिन हिंदी के लिए ऐसा नहीं था।

इसके बावजूद फारुख शेख और शबाना आजमी ने मिलकर अलग से थिएटर शुरू किया। फारुख शेख जहां अपनी जेब से कुर्सियों का इतंजाम करते थे तो शबाना आजमी बाकी चीजों के लिए अपनी जेब से रुपये देती थीं। यह सिलसिला यूं ही चलता रहा और हिंदी थिएटर की धूम मच गई थी। हिंदी थिएटर सराहा जाने लगा। उस वक्त दोनों ने मिलकर कॉलेज फंड की मांग की। इस पर कॉलेज ने बहुत जदोजहद के बाद मात्र 10 रुपये थिएटर के लिए दिए। यह 10 रुपये फारुख शेख और शबाना आजमी के हिंदी थिएटर के लिए किसी मजाक से कम नहीं थे। तब फारुख शेख और शबाना ने धन्यवाद के साथ यह 10 रुपये वापस कॉलेज को ही दान में दे दिए थे।

बता दें कि थिएटर में बेहतरीन परफॉर्मेंस की बदौलत ही फारुख शेख को साल 1973 में रिलीज हुई फिल्म ‘गर्म हवा’ में ब्रेक मिला था। वहीं एक इंटरव्यू में शबाना आजमी ने बताया था कि थिएटर के दौरान ही उन्हें फिल्मों में काम करने के बारे में सोचा था। इसके बाद साल 1973 में ही उन्होंने श्याम बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’ से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी।

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