मंगलवार 5 मार्च को देशभर में संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन गणेश भगवान की पूजा की जाती है तथा उपवास किया जाता है। संकष्टी गणेश चतुर्थी हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के चौथे दिन आती है। कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी तथा शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है यदि यह चतुर्थी मंगलवार के दिन हो तो उसका महत्व और अधिक हो जाता है। मंगलवार के दिन आने वाली चतुर्थी को अंगारकी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन दक्षिण भारत में बड़े उत्साह के साथ उपवास किया जाता है तथा गणेश जी की पूजा की जाती है। इस दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक व्रत किया जाता है। भगवान गणेश के लिए किया गया व्रत विद्या, बुद्धि, सुख-समृद्धि की दृष्टि से बहुत ही लाभदायक माना जाता है।
जानें पूजन का विधि विधान- सुबह प्रात:काल उठकर स्नान करने के बाद भगवान गणेश जी के सामने व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान गणेश जी की पूजा करें तथा इस मंत्र का जाप करें,
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
– भगवान गणेश जी की प्रतिमा स्थापित कर पूर्व उत्तर दिशा की तरफ मुख करके आसन पर बैठकर पूजन करें
– शाम के समय व्रत पूरा होने के बाद संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें।
– इस व्रत का पूजन शुभ मुहूर्त में करना ही अधिक फलकारी माना जाता है।
– 5 मार्च 2018 को पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 4 बजकर 53 मिनट से शुरु होगा और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला जाता है।