Monday, October 7, 2024
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आईआईटी पहुंचा नक्‍सल‍ियों के गढ़ का यह लड़का

SI News Today

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के आदिवासी लड़के वमन मांडवी ने आईआईटी में अपनी सीट बुक कराकर एक नई मिसाल पेश की है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र से संबंध रखने वाले वमन का बचपन काफी संघर्ष भरा रहा है। उनका परिवार आर्थिक रुप से काफी पिछड़ा हुआ है। आईआईटी में दाखिला लेना हर किसी का सपना होता है। उन्होंने भी देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान में दाखिला लेकर अपने गांव और जिले का नाम रौशन किया है। मांडवी के मां का सपना था कि उसका बेटा आईआईटी में पढे़।

उनकी मां लकड़ी बेचने का काम करती है। जब वमन 10 महीने का था, तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। ऐसे में तब से उनकी मां लकड़ी बेचकर परिवार का भरण-पोषण करती हैं। उनकी मां ने पढ़ाई लिखाई को लेकर पूरा साथ दिया। वमन ने भी अपनी मां को कभी निराश नहीं किया। आखिर में जब उन्होंने आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास कर ली तो मानो उनके जीवन का लक्ष्य पूरा हो गया।

बता दें कि वमन ने आईआईटी की मुख्य परीक्षा में फर्स्ट रैंक हासिल किया है। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के एक सरकारी स्कूल से की है। 10वीं की परीक्षा में उन्हें 72 प्रतिशत अंक मिले थे। जबकि 12वीं में उन्होंने 76 प्रतिशत अंक हासिल किया। वमन को मिली सफलता के बाद उसकी मां मंगली मांडवी काफी खुश है। वह कहती है कि उसे अपने बेटे की इस सफलता पर बहुत नाज है। वमन जब 10 महीने का था तभी उसके सिर से पिता का साया उठ गया। उनकी मौत के बाद मैंने लकड़ी बेच कर वमन को पढ़ाया लिखाया और बड़ा किया।

वमन की मां कहती है कि मेरा सपना था कि उसे पढ़ा-लिखाकर एक बड़ा आदमी बनाऊं। हम एक ऐसे समाज से आते हैं जहां बच्चों को मवेशियों को चराने के लिए भेज दिया जाता है, उन्हें खेतों में काम करने कहा जाता है जिसके कारण वे पढ़ाई नहीं कर पाते। लेकिन इन सबके बावजूद मैंने अपने बेटे वमन को स्कूल भेजा और उसने भी मुझे कभी निराश नहीं किया। उन्होंने बताया कि वमन की पढ़ाई में राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन से भी मदद मिली है। यह सब मुफ्त शिक्षा योजना के तहत ही संभव हो पाया है।

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