Friday, April 25, 2025
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आज से शुरू हुआ पितृ पक्ष, जानिए इस बार क्यों है चौदह दिन के श्राद्ध..

SI News Today

आज बुधवार (6 सितंबर 2017) से पितृ पक्ष की शुरूआत हो चुकी है। इस वर्ष ये 5 सितंबर से 19 सितंबर 2017 तक रहेंगे। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष का विशेष महत्व होता है। श्राद्ध पक्ष में पितृगण का श्राद्ध करने से पितरों को शान्ति मिलती है और वो बहुत खुश होते हैं। पितरों के खुश होने से घर में परिवार पर पितृ दोष नहीं आता है। ये पूर्णिमा श्राद्ध से शुरू होकर 16 वें दिन सर्व पितृ अमावस्या को खत्म होता है। इसे हर कोई अलग-अलग नाम देता है। पूरे वर्ष में सिर्फ एक बार आने वाले पितृ पक्ष में हिंदू धर्म के लोग अपने पितरों के लिए पूजा करते हैं। लोग श्राद्ध के लिए पंडित की सहायता लेते हैं।

पंडितों द्वारा मंत्रो का उच्चारण किया जाता है। इस पूजा में आवश्यक रूप से ध्यान रखने की जरूरत होती है कि किसी प्रकार की कोई गलती ना हो जाए अथवा इसका बुरा परिणाम भुगतने को मिल सकता है। मनुस्मृति के अनुसार पिंड दान सिर्फ बेटा या पोता ही कर सकता है। अगर किसी का कोई बेटा नहीं है तो कोई भाई, भतीजा या कोई ऐसा जिसका उससे संबंध हो पिंड दान कर सकता है।

श्राद्ध के दौरान कुछ ऐसी बातें ध्यान में रखनी चाहिए जो जरूरी होती हैं-
– जरूरत मंद लोगों में कपड़े और खाना बांटना नहीं भूलना चाहिए। इससे पितरों को शान्ति मिलती है।
– श्राद्ध दोपहर के बाद नहीं करना चाहिए। इसे सुबह या दोपहर चढ़ने से पहले ही कर लेना चाहिए।
– श्राद्ध के दौरान जब ब्राह्मण भोज करवाया जा रहा हो तो हमेशा दोनों हाथों से खाना परोसना चाहिए।
– श्राद्ध के दिन प्याज और लहसुन जैसी चीजों का प्रयोग ना करें। माना जाता है जो सब्जियां जमीन के अंदर से उगती हैं उन्हें पितरों को नहीं परोसा जाता है।

इस वर्ष श्राद्ध एक दिन घट कर हैं इसका अर्थ होता है कि ये वर्ष शुभ होगा। जिस वर्ष श्राद्ध बढ़कर यानि 16 दिन के होते हैं तब ज्योतिषों और पंडितों द्वारा वर्ष शुभकामनाएं नहीं लेकर आता है। 7 सितंबर को पहला श्राद्ध है। इसके बाद 20 सितंबर को पितृ विसर्जन है। इसे स्नानदान की अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन वो सभी लोग श्राद्ध करते हैं जिन्हें उनके पितरों की मृत्यु तिथि का पता नहीं होता है। पितृ पक्ष के अंत के बाद सभी त्योहारों की शुरूआत होती है. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

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