राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 25 जुलाई को खत्म हो रहा है। जहां विपक्षी दल राष्ट्रपति पद के लिए साझा उम्मीदवार उतारने के लिए लामबंद हो रहे हैं वहीं सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। माना जा रहा है कि भाजपा देश के राजनीतिक समीकरण को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनेगी। रिपोर्ट के अनुसार भाजपा किसी दलित या आदिवासी को देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने के लिए उम्मीदवार बना सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े अन्य संगठनों के नेताओं ने हाल ही में इस बारे में एक बैठक की है। रिपोर्ट के अनुसार इस बैठक में आरएसएस ने भाजपा से दलित या आदिवासी को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने के लिए कहा है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार झारखंड की मौजूदा राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू भाजपा नीत गठबंधन एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवारों की दौड़ में सबसे आगे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार महिला और दलित नेता द्रौपदी मुर्मू का विरोध करना विपक्षी दलों के लिए आसान नहीं होगा। ओडिशा की रहने वाले द्रौपदी मुर्मू राज्य की भाजपा और बीजू जनता दल (बीजद) की गठबंधन सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। रिपोर्ट के अनुसार मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर बीजद के भाजपा के विपक्षी खेमे के उम्मीदवार को समर्थन देने की संभावना काफी कम हो जाएगी।
मीडिया रिपोर्ट में केंद्रीय मंत्री और दलित नेता थावर चंद गहलोत का नाम भी एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की दौड़ में बताया जा रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविवार (28 मई) को नागपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और आरएसएस के वरिष्ठ नेता भैयाजी जोशी से मिले थे। माना जा रहा है कि शाह ने इस बैठक में संघ के नेताओं से राष्ट्रपति चुनाव पर चर्चा की।
रिपोर्ट के अनुसार भाजपा राष्ट्रपति उम्मीदवार के मुद्दे पर विपक्ष से कोई समझौता न करने के मूड में है। भाजपा को पूरा भरोसा है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के उम्मीदवार को हराना उसके लिए मुश्किल नहीं होगा। दलित और आदिवासी नेताओं के अलावा लोक सभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और केंद्रीय मंत्रियों सुषमा स्वराज और वेंकैया नायडू के नाम भी संभावित उम्मीदवारों के रूप में गिनाए जा रहे हैं।