केंद्र सरकार में राज्य मंत्री और पूर्व पत्रकार एम जे अकबर का प्रमोशन होने जा रहा है लेकिन यह प्रमोशन महज एक ही दिन के लिए रहेगा। एम जे अकबर के पास राज्य विदेश मंत्रालय का प्रभार है। पीएम नरेंद्र मोदी एक बार फिर से अपने विदेश दौरे पर जाएंगे। इस बार पीएम मोदी फिर से जर्मनी जाएंगे और इस विदेश यात्रा के चलते अकबर की रैंक में एक दिन का इजाफा होने जा रहा है। दरअसल यात्रा के दौरान दोनों मुल्कों के बीच “इंटरगवेर्मेंटल कंसल्टेशन” वार्ता आयोजित की जाएगी। इस वार्ता के लिए पीएम समेत चार कैबिनेट मंत्री अपने जर्मन समकक्षों से मुलाकात कर वार्ता करेंगे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक जहां विदेश मंत्री सुषमा स्वाराज इस यात्रा में नहीं जा सकेंगी उनकी जगह एक दिन के लिए अकबर संभालेंगे। अकबर सीधे जर्मनी के विदेश मंत्री से मुलाकात कर वार्ता को अंजाम देंगे। वह जर्मन कैबिनेट के किसी उपमंत्री से नहीं, बल्कि सीधे विदेश मंत्री से वार्ता पक्ष को संभालेंगे। अमूमन जहां यूरोपिय देश प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करते हैं वहीं माना जा रहा है कि यह वार्ता में अकबर को बड़ी जिम्मेवारी दिए जाने से अलग तरह की होगी।
एम जे अकबर को बीते साल जुलाई महीने में विदेश राज्यमंत्री का पदभार दिया गया था। अकबर देश के दिग्गज पत्रकार और लेखकों में से एक माने जाते हैं। वहीं उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं। वहीं अकबर के राजनीतिक करियर की शुरुआत 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से नजदीकी के चलते बतौर कांग्रेसी सांसद के रूप में हुई थी। उन्होंने 1989 में बिहार के किशनगंज से लोकसभा चुनाव जीता था लेकिन उस साल कांग्रेस बुरी तरह हार गई थी। 1991 में राजीव गांधी की मौत के बाद वे पार्टी से अलग हो गए और फिर से पूर्णकालीक पत्रकार बन गए थे। 2002 के गुजरात दंगों के बाद उन्होंने राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना भी की थी लेकिन कांग्रेस में गांधी परिवार के नेतृत्व की कड़ी आलोचना करने के बाद वे भरतीय जनता पार्टी के करीब आ गए थे।