भारत के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर समेत शीर्ष अदालत के 6 अन्य जजों को पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाने वाले कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस कर्णन को सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने यह सजा उन्हें अदालत की अवमानना मामले में दी है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तुरंत गिरफ्तार करने के निर्देश दिए हैं। बंगाल के डीजीपी आज खुद उन्हें गिरफ्तार करेंगे। कोर्ट ने मीडिया पर उनके द्वारा दिए गए आदेशों को छापने को लेकर रोक लगा दी है।
इससे पहले जस्टिस कर्णन ने सीजेआई जेएस खेहर समेत सुप्रीम कोर्ट के 6 अन्य जजों को पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। जज ने यह फैसला इन सभी को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने पर दिया था। सीजेआई व 6 अन्य दलों को सम्मन किए जाने के बाद वह जस्टिस कर्णन के सामने पेश नहीं हुए तो उन्होंने गैर-जमानती वारंट जारी करते हुए 8 मई को फिर पेश होने का आदेश जारी किया था। सोमवार को जब सुप्रीम कोर्ट के जज पेश नहीं हुए तो जस्टिस कर्णन ने इसे अपनी अदालत की अवमानना मानते हुए सभी 7 जजों को 5 साल की सजा सुना दी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उनकी न्यायिक कर्त्तव्यों को जारी रखने की याचिका यह कहते हुए ठुकरा दी थी कि हाई कोर्ट जज दिमागी रूप से ठीक नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने कर्णन के खिलाफ 17 मार्च को जमानती वारंट भी जारी किया था। 2 मई को जस्टिस कर्णन ने संविधान के अनुच्छेद 226 का प्रयोग करते हुए सुओ-मोटो आदेश जारी किया था।
1 मई को सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन के मानसिक स्वास्थ्य की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड के गठन का आदेश दिया था। लेकिन जस्टिस कर्णन ने इसे कराने से मना कर दिया था। कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए जस्टिस कर्णन ने पूछा था कि सर्वोच्च अदालत उनके मानसिक स्वास्थ्य पर सवाल उठाने वाला कौन होता है?
जस्टिस कर्णन इस साल जून में रिटायर होने वाले हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आठ फरवरी को उनके सभी संवैधानिक और न्यायिक अधिकारों से वंचित कर दिया था। जस्टिस कर्णन ने अवमानना के मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एवं छह अन्य जजों पर 14 करोड़ रुपये हर्जाना देने का आदेश जारी कर दिया था। जस्टिस कर्णन ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की विदेश यात्रा पर भी रोक लगा दी थी। जस्टिस कर्णन कोलेजियम द्वारा किए गए ट्रांसफर के खिलाफ अपनी ही अदालत में आदेश देकर विवादों में घिर गये थे। जस्टिस कर्णन का आरोप है कि उन्हें दलित होने के कारण परेशान किया जा रहा है।