श्रीनगर के नूरबाग में रहने वाले 10 वर्षीय सुहैल दूसरे बच्चों की तरह बाहर खेलने नहीं जाते। वो अपने एक मंजिला मकान के लोहे के दरवाजे से बाहर दूसरों को खेलते देखते हैं लेकिन खुद घर में ही रहते हैं। कश्मीर में कोई बंदी या कर्फ्यू भी नहीं है। आखिर सुहैल बाहर खेलने क्यों नहीं जाते? ये पूछने पर वो चुप ही रहते हैं। एक रात पुलिस थाने में और पांच दिन किशोर सुधार गृह में रह चुके सुहैल पर पुलिस ने दंगा करने, जानलेवा हथियार रखने, सरकारी अधिकारियों को कामकाज से रोकने और उन पर हमला करने और उनकी का मामला दर्ज किया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार नौ अप्रैल को श्रीनगर उपचुनाव के दौरान पत्थरबाजी करने वालों में सुहैल भी शामिल था। हालांकि सुहैल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वो पत्थरबाजी नहीं कर रहे थे।
सुहैल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मैं पत्थर नहीं फेंक रहा था। मैं बाहर सड़क पर खड़ा होकर केवल तमाशा देख रहा था।” सुहैल के मामा शेख कहते हैं, “देखिए कितना दुबला-पतला है, अभी 10 साल का भी नहीं हुआ है। क्या पत्थर उठाकर उतनी दूर फेंक सकता है?” शेख ने सुहैल को तब गोद लिया था जब वो छह महीने का था। सुहैल के माता-पिता का तलाक हो चुका है और दोनों में से कोई उसे अपने साथ नहीं रखता चाहता था। शेख श्रीनगर महानगरपालिका में सुपरवाइजर के तौर पर काम करते हैं। उनके चार बेटे हैं। उनके बेटे अहमद को भी पलिस ने गिरफ्तार किया था। शेख का एक और बेटा मोहम्मद लद्दाख के नगरपालिका में काम करता है।
सुहैल की नानी बेगम उनके साथ ही रहती हैं। बेगम कहती हैं, “उसने छोटी सी जिंदगी में बहुत कुछ देख लिया। इक वाकये ने उसे झकझोर दिया। वो हंसना भूल गया है। अब वो हमेशा चुप रहता है। उसके अंदर कुछ चलता रहता है।” ऐसा नहीं है कि सुहैल एकमात्र ऐसा बच्चा है जिसे पुलिस की कार्रवाई का शिकार होना पड़ा है। शेख बताते हैं, “28 अप्रैल को मुझे वानियार पुलिस चौकी से फोन आया कि अपने बेटे को लेकर चौकी पर पहुंचो। मैं तुरंत अपने बेटों के साथ चौकी पर गया। मैंने सुहैल को घर पर छोड़ दिया था क्योंकि वो पुलिस के मामलों के लिए बहुत छोटा है। ”
शेख बताते हैं, “उन्होंने मुझसे कहा कि अपने बड़े बेटे हिलाल को छोड़ जाओ और घर जाकर सुहैल को चौकी पर लेकर आओ।” कारण पूछने पर पुलिसवालों ने शेख को कोई जवाब नहीं दिया और कहा कि वो पहले उसे चौकी पर लेकर आए। शेख के अनुसार उनका बड़ा बेटा दिल का मरीज है और शादीशुदा है। उन्होंने पुलिस से उसे छोड़ने के लिए विनती की लेकिन वो नहीं पसीजे। शेख ने जब सुहैल को बख्श देने का अनुरोध किया तो पुलिस ने उन्हें एक तस्वीर दिखायी जिसमें सुहैल सड़क पर खड़ा था। शेख कहते हैं, “पुलिस ने उसे सड़क पर देखकर मान लिया कि वो पत्थरबाज है।”
सुहैल आज भी उस दिन को याद करके सिहर जाते हैं। वो बताते हैं कि उन्हें सफाकदाल पुलिस थाने ले जाया गया था। अंधेरा होने के बाद उन्हें रक्षक (बुलेटप्रूफ जीप) में घसीटते हुए ले जाया गया। सुहैल के अनुसार एक पुलिसवाले ने उन्हें राइफर के कुंदे से मारा था। ये कहकर सुहैल अपना बायां पैर दिखाते हैं। सुहैल को पुलिस हवालात में दो और लोगों के साथ रखा गया था। अगले दिन सुहैल को चेकअप (पुलिस कंट्रोल रूम में) के लिए ले जाया गया। वहां एक पुलिसवाले ने उन्हें थप्पड़ मारते हुए उनके दुबले-पतले होने का मजाक उड़ाते हुए उन्हें नेवला कहा।
सुहैल के अनुसार चेकअप के दौरान उन्हें हथकड़ी पहनाई गई थी।उन्हें हथकड़ी में देखकर चेकअप करने वाली नर्स रोने लगी। उसने पुलिसवाले से उन पर मामला न दर्ज करने का इसरार किया। नर्स ने सुहैल को 40 रुपये भी दिए। बाद में पुलिस ने मामला दर्ज करने के बाद सुहैल को अदालत में हाजिर किया जहां से उन्हें किशोर सुधार गृह भेज दिया गया। जमानत का इंतजाम होने तक सुहैल पांच दिन किशोर सुधार गृह में रहे। शेख कहते हैं, “वो जमानत पर रिहा हो गया है लेकिन उस पर चल रहे मुकदमे से हम सब डर गए हैं।”
सुहैल कि गिरफ्तारी के बारे में पूछने पर कश्मीर के इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस मुनीर खान कहते हैं कि उसे उनके पद संभालने से पहले गिरफ्तार किया गया था। मुनीर खान ने कहा, “माननीय मुख्यमंत्री ने मुझे इस मामले के बारे में फोन किया था और हम इसकी पड़ताल कर रहे हैं।” आईजी मुनीर कहते हैं कि उन्होंने पुलिस को नाबालिगों को अपराधियों के साथ पुलिस हिरासत में न रखने का आदेश दिया है। वानियार पुलिस थाने के अधिकारियों ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।