भारत पाकिस्तान बॉर्डर पर फ्लडलाइट्स लगाने के काम में प्रगति को दिखाने के लिए हाल में गृह मंत्रालय ने स्पेन मोरक्को बॉर्डर की तस्वीर का इस्तेमाल कर दिया था। अभी ये विवाद ठीक तरह से शांत भी नहीं हुआ है कि तस्वीरों की हेरा-फेरी का एक और मामला सामने सामने आया है। इस बार ये आरोप लगा है कोयला मंत्रालय पर। रिपोर्ट के मुताबिक इस बार कोयला मंत्रालय ने ना सिर्फ एमनेस्टी इंटरनेशनल की तस्वीर को अपने वेबसाइट पर दिखाया, बल्कि एमनेस्टी इंटरनेशनल की असल रिपोर्ट में तस्वीर जिस मकसद से दिखाई गई थी, कोयला मंत्रालय में ठीक उससे विपरित अर्थ दिखाने के लिए ये तस्वीर अपने वेबसाइट पर लगा दी। एमनेस्टी ने अपनी एक रिपोर्ट में कोयला खदानों के विस्तार की वजह से पैदा हुई मानवीय समस्या को दिखाने के लिए इस तस्वीर को अपनी रिपोर्ट में जगह दी थी, जबकि कोयला मंत्रालय ने कोयला खदानों के विस्तार की वजह से कोयले के आयात में हुई कमी और इसकी वजह से विदेशी मुद्रा में बचत को दिखाने के लिए इस तस्वीर कोयला मंत्रालय और उज्ज्वल भारत की वेबसाइट के होम पेज पर लगाया था।
तस्वीर की इस चोरी को अरुणा चन्द्रशेखर नाम की फोटो जर्नलिस्ट ने पकड़ा। अरुणा पहले एमनेस्टी इंटरनेशनल से जुड़ी हुईं थी और उन्होंने ही 2014 में इस तस्वीर को खींचा था। तस्वीरों में दिख रहा ये कोयला खदान छत्तीसगढ़ के कोरबा के कुसमुंडा का है। इस मामले के सामने आने के बाद मंत्रालय ने अपने वेबसाइट से इस तस्वीर को डिलीट कर दिया है। लेकिन गूगल कैश के जरिये इस तस्वीर का स्क्रीनशॉट हासिल कर लिया। ऊर्जा मंत्रा पीयूष गोयल ने अपने ट्वविटर अकाउंट से इस तस्वीर को ट्वीट भी किया था। अरुणा चन्द्रशेखर ने जब इस पूरे मामले की जानकारी ऊर्जा मंत्री को दी तो उन्होंने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया।
अरुणा चन्द्रशेखर ने अपने ट्वीट में लिखा है कि मैने जिस तस्वीर को एमनेस्टी इंटरनेशनल के लिए लिया था उसे कोयला मंत्रालय के वेबसाइट में इस्तेमाल किया गया है। अरुणा चन्द्रेशखर ने सरकार से अपील की है कि सरकार ने जिन आदिवासियों से कोयला खदान के लिए जमीन ली है उनकी ठीक से क्षतिपूर्ति की जानी चाहिए।