“नरेंद्र मोदी देश के सबसे अच्छे प्रधानमंत्री हैं और देश में असहिष्णुता के सबसे बड़े शिकार हैं।” “मौजूदा स्वरूप में भारत में जाति व्यवस्था और छुआछूत अरब, तुर्क और मंगोलों के आक्रमण का परिणाम है।” “मैकालेवाद और मार्क्सवाद की वजह से भारत का बौद्धिक ह्रास हुआ।” “विपक्ष द्वारा जेएनयू के छात्रों के समर्थन से राष्ट्रवादी भावनाएं आहत हुई हैं।” ये विचार हैं इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (आईसीएसएसआर) के नव नियुक्त चेयरमैन बीबी कुमार के। कुमार के ये विचार एक त्रैमासिक पत्रिका “डायलॉग” में पिछले दो साल में प्रकाशित हुए हैं। कुमार इस पत्रिका के संपादक हैं। आईसीएसएसआर देश में समाज विज्ञान में शोध को बढ़ावा देती है।
इंडियन एक्सप्रेस ने सबसे पहले प्रकाशित किया था कि दो मई को बीबी कुमार को मानव संसाधन मंत्रालय ने आईसीएसएसआर का चेयरमैन नियुक्त किया। कुमार एंथ्रोपॉलजिस्ट (मानवविज्ञानी) हैं। कुमार ने पांच मई को अपना पद ग्रहण किया। उन्होंने सुखदेव थोराट की जगह ली है जो आईसीएसएसआर के अप्रैल 2011 से चेयरमैन थे। 76 वर्षीय कुमार का चयन एक चयन मंडल ने किया है जिसमें अशोक मोदक, (नेशनल रिसर्च प्रोफेसर और महाराष्ट्र से भाजपा के पूर्व एमएलसी) सतीश मित्तल (आरएसएस के अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के अध्यक्ष) सदस्य थे।
बीबी कुमार नगालैंड के साओ चेंज गवर्नमेंट कॉलेज और साइंस कॉलेज कोहिमा के पूर्व प्रिंसिपल रह चुके हैं। कुमार ने 136 किताबों का लेखन, सह-लेखन और संपादन किया है। आइए देखते हैं कि साल 2015 और 2016 में बीबी कुमार ने अपनी पत्रिका डायलॉग में विभिन्न विषयों पर प्रकाशित उनके विचार-
असहिष्णुता के शिकार- अपनी पत्रिका के अक्टूबर-दिसंबर 2015 अंक में कुमार ने “लर्न टू टॉलरेट मोदी” शीर्षक से संपादकीय लिखा था। उन्होंने लिखा था, “नरेंद्र मोदी ने खुद को सबसे अच्छा प्रधानमंत्री साबित किया है। जब वो सत्ता में आए तो देश की अर्थव्यवस्था खराब थी। थोड़े ही समय में हम जीडीपी विकास दर में चीन से आगे निकल गये हैं। लोगों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए कदम उठाए गए हैं। भारी विदेशी निवेश आ रहा है। भ्रष्टाचार या घोटाले का कोई मामला अब तक सामने नहीं आया है….”