जम्मू-कश्मीर में पड़ने वाली भारत और पाकिस्तान की 198 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर जल्द ही अत्याधुनिक तकनीकी की मदद से घुसपैठियों पर नजर रखी जा सकेगी। इस तकनीक से भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की नजदीकी पोस्ट को तुरंत ही किसी भी तरह के घुसपैठ की सूचना मिल जाएगी। कवच (केवीएक्स) नाम की यह अत्याधुनिक इनफ्रामेड सुरक्षा दीवार एक भारतीय आईओटी कंपनी सीआरओएन ने बनाया है। कवच पुराने लेजर दीवार से बहुत ज्यादा कारगर होगा।
बीएसएफ के पूर्व इंस्पेक्टर जनरल राकेश शर्मा ने एचटी से कहा कि साधारण लेजर वाल अपनी बीम की वजह से दिखायी देती हैं और कश्मीर के इलाके की भौगोलिक स्थितियां चुनौतीपूर्ण होती हैं। शर्मा कहते हैं कि हमें ऐसी लेजर वाल चाहिए थे जो दिखायी न दे, न ही महसूस हो और ज्यादा प्रभावी हो। जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान से होनी वाली घुसपैठ भारत की बड़ी चिंता रही है। सीमापार से जम्मू-कश्मीर में आने वाले आतंकवादी कई बड़ी आतंकी वारदातों को अंजाम दे चुके हैं।
सीआरओएन सिस्टम में इन्फ्रारेड किरणों का प्रयोग किया गया है जो दिखायी नहीं देतीं और ये लेजर वाल से ज्यादा आधुनिक है। शर्मा ने अखबार को बताया कि जम्मू में पड़ने वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब 13 नदियां और उपनदियां पड़ती हैं। रिपोर्ट के अनुसार “कवच” पारदर्शी जल और शीशे में भी काम करेगा। भारत और पाकिस्तान सीमा करीब 3000 किलोमीटर लंबी है। इसमें से 198 किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय सीमा और 740 किलोमीटर नियंत्रण रेखा (एलओसी) जम्मू-कश्मीर में पड़ती है।
बिजली से संचालित “कवच” को लगाना काफी आसान है। रिपोर्ट के अनुसार एक किलोमीटर की सीमा में “कवच” लगाने में कुछ ही घंटे लगते हैं। बिजली ने होने पर बैटरी बैकअप या यूपीएस से इसे 8-12 घंटे तक चलाया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार इस तकनीक विकसित करने में आईआईटी के कई विशेषज्ञों के अलावा इजराइली सुरक्षा विशेषज्ञ की भी मदद ली गयी है।