अब तक चाइनीज दियों और लड़ियों की जगमगाहट भारत की दीपावली रोशन हुआ करती थी। लेकिन इस बार की थोड़ी खास है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि दीपावली के मौके पर भारतीय स्वदेशी लड़ियां चीनी उत्पादों को चुनौती दे रही हैं। खास बात यह है कि यह चुनौती कीमत पर भी है, खुबसूरती पर भी है और लोगों की मांग पर भी है। राजधानी के व्यापारियों का कहना है कि बरसों बाद ऐसा मौका देखने को मिला है जब लोग खुद ही स्वदेशी झालरों और लड़ियों की मांग कर रहे हैं। बड़े व्यापारियों का कहना है कि इस दिवाली जगमगाते घरों को देखकर यह धोखा खाने की जरूरत नहीं कि ये चाइनीज लाट्स हैं। उनका कहना है कि इस बार न केवल खरीददार बल्कि दुकानदार भी चाइनीज उत्पादों के बदले स्वदेशी उत्पाद बेचने पर जोर दे रहे हैं और इसे पसंद भी किया जा रहा है।
राजधानी के बाजारों में इस साल लोगों को किसी भी सामान की खरीददारी करने से पहले दुकानदार से ये पूछते देखा गया कि बिक्री का सामान भारतीय है या फिर चाईनीज। सदर बाजार में चीन के सामान के थोक व्यापारियों ने भी इस साल चीन के सामान की खरीददारी में करीब 40 फीसद की कटौती की है। ये ही हाल करोल बाग की चाईना मार्केट का भी है। वहां भी बीते साल की तुलना में काफी कम खरीददार हैं जो चीन के सामानों को तरजीह दे रहे हैं। स्वदेशी सामान में रंग बिरंगे आर्टिफिशियल फूल, कपड़ों के बने सजावटी झूमर, गेट पर लगाने के लिए शुभ दिवाली वाले स्टिकर और झालर जैसी आकर्षक चीज भी लोगों को लुभा रहे हैं। सजावटी सामान के साथ ही रंगबिरंगी मोमबत्ती, मिट्टी के दीये व उपहारों की खरीदारी भी तेज हो गई है। राजधानी की राजौरी गार्डन, लक्ष्मी नगर, कृष्णा नगर, करोल बाग, मोती नगर, सरोजनी नगर, सहित कई बाजारों में इस तरह के नजारे देखने को मिले हैं। दिवाली पर भी चीनी उत्पादों का विरोध जारी है। इसलिए दुकानदारों ने ज्यादातर स्वदेशी माल ही मंगाया है और लोग भी इसे खूब पसंद भी कर रहे हैं।