राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा कश्मीरी अलगाववादियों को आतंकवादी संगठनों द्वारा पैसा मिलने की जांच की जा रही है लेकिन पिछले साल की गई ऐसी ही जांच ठोस सुबूत के अभाव में “लगभग बंद” कर दी गई है। पिछले साल जुलाई में हिज्बुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी के एक मुठभेड़ में मारे जाने के बाद से घाटी में हिंसक विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया। घाटी में हिंसा भड़काने के लिए पाकिस्तान से पैसे मिलने के आरोप की एनआईए ने प्राथमिक जांच शुरू की थी लेकिन एजेंसी को इसके सुबूत नहीं मिले।
एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “उस मामले में पत्थरबाजों को आतंकवादी संगठनों या अन्य किसी से पैसे मिलने का कोई सबूत नहीं मिला था। जिन बैंक खातों की जांच की गई थी उनमें सभी लेन-देन कानूनी रूप से हुए थे। वो मामला लगभग बंद है।” हालांकि इस अधिकारी के अनुसार हुर्रियत कांफ्रेंस (गिलानी) के नेताओं के खिलाफ विदेशी पैसे लेने का मामला “पुख्ता” होता जा रहा है और जल्द ही इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
पिछले साल के केस में एनआईए ने दक्षिणी कश्मीर के 17 बैंक खातों में हुए 38 करोड़ रुपये के लेन-देन की जांच की थी। एनआईए को संदेह था कि ये पैसे आतंकवादियों या अलगाववादी गुटों द्वारा दिए-लिए गए हैं। एनआईए ने इस पैसों की निकासी और घाटी में पत्थरबाजी या सड़कजाम जैसे घटनाओं के बीच संभावित संबंध की जांच की। एनआईए ने खाताधारकों के अलावा उनके रिश्तेदारों और बैंक अधिकारियों से भी पैसों के स्रोत के बारे में पूछताछ की।
एनआईए ने पिछले साल भारतीय सेना द्वारा मिले हवाले के बाद जांच शुरू की थी। सेना को संदेह था कि कुछ खातों में संदेहास्पद लेन-देन हो रहे हैं जिनका घाटी में पत्थरबाजी की घटनाओं से संबंध है। सूत्रों के अनुसार जिन बैंक खातों की एनआईए ने जांच की थी वो ज्यादातर छोटे कारोबारियों के थे, मसलन एक बैंक खाता पुलवामा स्थित एक प्लंबर का था। इस खाते में तीन महीने में 18 लाख रुपये जमा हुए और अलग-अलग किश्तों में पूरे पैसे निकाले जाने के चार महीने के अंदर खाता बंद कर दिया गया था। लेकिन इस लेन-देन का पत्थरबाजी से कोई संबंध नहीं स्थापित हो सका था।
एनआईए के अफसर ने बताया, “इसीलिए प्राथमिक जांच (पीई) प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करने तक नहीं पहुंच सकी थी।” इस साल मई में एनआईए ने हुर्रियत नेताओं सैयद अली शाह गीलानी, नईम खान, बिट्टा कराटे और गाजी बाबा के खिलाफ पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और उसके प्रमुख हाफिज सईद से पैसे मिलने की प्राथमिक जांच शुरू की थी। हुर्रियत नेताओं के खिलाफ शुरू की गई प्राथमिक जांच के बाद उन पर पाकिस्तान से पैसा लेकर घाटी में अशांति फैलाने की एफआईआर दर्ज की गई।
एनआईए की एफआईआर में हाफिज सईद के अलावा हिज्बुल मुजाहिद्दीन और दुख्तरान-ए-मिल्लत का नाम भी शामिल है। एनआईए कई अलगाववादी नेताओं से इस बारे में पूछताछ कर चुकी है। बुधवार (28 जून) को एनआईए ने गिलानी के दामाद समेत तीन हुर्रियत नेताओं को हिरासत में लिया था। एनआईए के अधिकारियों का दावा है कि पूरे देश में कई जगहों पर मारे गए छापे के बाद उन्हें काफी “ठोस सुबूत” मिले हैं। हाल ही में कई मीडिया चैनलों ने अपने स्टिंग ऑपरेशनों में दावा किया कि घाटी में पत्थरबाजी के लिए पाकिस्तान और अन्य आतंकवादी संगठन पैसे देते हैं।