फरक्का बराज तोड़ने के बजाए गंगा नदी से गाद निकालने के लिए केंद्र सरकार उच्चस्तरीय मंथन में लगी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गुरुवार शाम मुलाकात के दौरान केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती उन्हें भरोसा दिलाया। वे दो दिनों के दौरे पर बिहार आई थीं। कटिहार और भागलपुर के सुल्तानगंज में गंगा चौपाल में शरीक होने के बाद वे पटना के लिए हेलीकाप्टर से रवाना हो गईं। उन्होंने कहा कि गंगा नदी की गाद निकालने के लिए आईआईटी इंजीनियर, पर्यावरण टीम और गंगा नदी के जानकार गंभीर विचार कर रहे हैं। केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि 2019 तक गंगा अविरल दिखे और बहे।
सर्किट हाउस में मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री के साथ बिहार के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा, जल संसाधन के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार वगैरह मौजूद थे।
इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गंगा नदी की गाद की समस्या को रखा और बोले कि किताबी ज्ञान के बजाए विशेषज्ञ स्थल निरीक्षण करें। तभी सही तरीके से समस्या का निदान हो पाएगा। उन्होंने कहा कि इकोलॉजी, इंजिनियरिंग और गंगा नदी के प्रति लोगों की आस्था को देखते हुए समाधान ढूंढने की जरुरत है। गंगा अविरल नहीं बहेगी तो निर्मल कैसे होगी। आज हालत यह है कि गंगा का पानी नहाने लायक भी नहीं रह गया है। 20 साल पहले बाल्टी में पानी रखने पर गाद नहीं जमती थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चितले कमेटी की रिपोर्ट में गंगा में सिल्ट का बखान है, मगर इस कमेटी ने स्थल निरीक्षण नहीं किया है। 2015 में हुई इंटर स्टेट काउंसिल की बैठक में भी प्रधानमंत्री के सामने इन बातों को रखा है। पहले फरक्का बराज के अपस्ट्रीम में गंगा के जल बहाव के साथ गाद निकल जाती थी। अब नदी के अंदर जमा हो रही है। 10 जून के पहले अधिकारियों और विशेषज्ञों का दल भेजने का अनुरोध किया। ताकि समय रहते बाढ़ रोकने के उपाय किया जा सके। केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने भरोसा दिलाया।
अपने दौरे के क्रम में उन्होंने भागलपुर और मुंगेर में गंगा नदी किनारे ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की घोषणा भी की। इसपर भी मुख्यमंत्री ने कहा कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का पानी वापस गंगा नदी में न गिरे इस पर भी गौर करने की जरूरत है।