Friday, March 28, 2025
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बाखबर, सुधीश पचौरी का लेख: जो भरा नहीं है भावों से

Indian Army soldiers participate in a war exercise during a two-day "Know Your Army" exhibition in Ahmedabad, India, August 19, 2016. REUTERS/Amit Dave
SI News Today

पाक पर फिर सर्जिकल स्ट्राइक/ सर्जिकल स्ट्राइक नंबर दो/ भारतीय सेना ने पाक के नौशेरा में गोले दागे/ परमजीत प्रेमसागर का बदला लिया/ देशभक्तों ने शांतिकामियों को बेनकाब किया/ आतंक को पनाह देने वालों को बंबार्ड करो/ पाक से पंगा लेने के नए कायदे/ गद्दारों को बंबार्ड करो… एक आहत परिवार की मां बोली: एक के बदले पचास कटे सीस चाहिए…। देशप्रेम का मारा हिंदी रिपोर्टर तुरंत कट लिया: यह मांग कैसे पूरी करता?  लेकिन हिंदी चैनल इतने गुस्से में दिखे कि अगर पाक का बच्चा हाथ लग जाता तो कचूमर निकाल देते। बदला बदला बदला। सबक सिखाना है। नापाक पाक के बच्चे अब तुम बचके नहीं जा सकते… और अंगरेजी के तीन देशप्रेमी चैनल अंगरेजी में गुस्साते रहे कि लेट्स बंबार्ड पाक ऐंड पीसनिक्स (शांतिकामी)! पनिश देम! पाक के दलाल गोगोई को ‘क्रिमिनल’ कह रहे हैं! ये हिम्मत?

तीन दिन तक मेजर गोगोई द्वारा पत्थरबाज को जीप में बांध कर घुमाने और अपने सैनिकों को सुरक्षित निकालने की गोगोई-कथा बजाई जाती रही। गोगोई ने अपनी कहानी खुद कही। एक से एक बड़ा रिटायर्ड फौजी चैनलों में बैठ कर समझाता रहा कि गोगोई की प्रत्युत्पन्नमति को साधुवाद कि उसने गजब की अक्लमंदी दिखाई। बिना खून-खराबे के पत्थरबाजों से अपने लोगों को बचा लिया! सेना के चीफ की ओर से गोगोई को सम्मान देने की खबर आई। जय हो! कोरस उठा: ऐसा ही होना चाहिए था। और ऐसे हर बिंदु पर पिटने के लिए न जाने कहां से तो आ जाते हैं जॉन दयाल, जो फिलहाल भारत में मानवाधिकार की अकेली आवाज नजर आते हैं। लेकिन जब वीररस से ओतप्रोत बहसों के बीच वे बोलते हैं, तो उनकी आवाज इस कदर खाली महसूस होती है, मानो हम किसी फुसफुसाहट को सुन रहे हों। फिर भी वे अपनी गुमशुदा-सी आवाज में कुछ-कुछ कहते रहते हैं!

कट टू परेश रावल का धक्कामार ट्वीट कि पत्थरबाज की जगह अरुंधती राय को जीप से बांधा जाना चाहिए! शांतिकामियों की दे पिटाई! मार मार मार! इनको बंबार्ड करो जी…। इतने युद्धोन्मादी एंकरों-रिपोर्टरों और चर्चकों के बीच ये अरुंधती टाइप कथित शांतिकामी मानवाधिकारवादी पिटने के लिए कहां से प्रकट हो जाते हैं? हमें लगता है कि ये ‘शांतिकामी’ देशपे्रमी एंकरों की जरूरत हैं। ये न हों तो वे देशप्रेम के नाम पर किसे अपना प्रिय ‘पंचिंग बैग’ बनाएं? किसे अपनी वीरता दिखाएं? मारो!काटो! बच के न जाने पाए! गद्दार कहीं के! ऐसा माहौल बनाया जाता है कि जी करता है, दर्शक भी दो हाथ धर दे! कुछ एंकर-रिपोर्टर खुद ही तोपची बन जाते हैं! हमारे एंकर-रिपोर्टर देशप्रेम से सराबोर रहते हैं। अपनी फौज उधर गोले बरसाती है, तो ये इधर विपक्ष पर बरसाते हैं!  अब देश बचाएं या इधर-उधर की घटनाओं को दिखाएं? झारखंड में वाट्सऐप से उन्मादित भीड़ द्वारा लोगों के चिथड़े उड़ाने को कितना दिखाते? देश बचाते कि इसे बजाते? कट टू जंतर मंतर। भीमसेना की जबर्दस्त रैली को भी खबर बनाया, लेकिन क्या उसे चौबीस बाई सात लाइव दिखा कर अमर करते? सहारनपुर के दंगों की खबर दी, लेकिन क्या दिन-रात दिखाते? देश बचाते कि दंगा दिखाते! कश्मीर बचाते कि सहारनपुर?

एक दिन अचानक खबर ब्रेक हुई कि भारत की सेना ने परमजीत और प्रेमपाल का बदला लिया। पाक के दर्जनों आतंकी ठिकाने नेस्तनाबूद किए। चैनलों के लिए यह सर्जिकल स्ट्राइक नंबर दो रहा! ऐसे हर अवसर पर रिटायर्ड फौजी अफसरों के एक्सपर्ट कमेंट हमें घर बैठे ही समझा देते हैं कि कौन-सी तोपें थीं? गोला कितना बड़ा था? इस तरह दो दिन हमारे चैनलों ने पाक को ध्वस्त किए रखा, लेकिन बदमाश पाकिस्तान अपनी-सी किए बिना न माना। उसने भी वीडियो जारी किया। लेकिन हमारे एक्सपर्टों ने पल भर में बता दिया कि यह नकली है। फेक है। अपना गोला असली! उनका नकली! फिर अंगरेजी चैनल बताने लगे कि पाक सैन्य जहाज सियाचिन पर उड़े हैं। तुरंत एक मिलटिरी की-सी जैकेट में हर समय कसे रहने वाले एंकर ने कहा कि वे तो सियाचिन ग्लेशियर में उड़ ही नहीं सकते। एक्सपर्ट ने कहा कि बालक ठीक कह रहा है। वे नहीं उड़ सकते। लेकिन अगर उधर आएंगे तो हमारी भी सेना तैयार है दो दो हाथ करने के लिए!  एंकर, चैनल और रिपोर्टर हर पल एक युद्ध ढूंढ़ और बना रहे हैं। लाइव लाइव, ताजा ताजा। बातों के एक से एक गोले छोड़ते हैं। इन एंकरों-रिपोर्टरों के देशप्रेम को देख ये लाइनें याद आती हैं: ‘जो भरा नहीं है भावों से,बहती जिसमें रसधार नहीं/ वह हृदय नहीं है पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं!!’
पाक से निपटते, पाक से दो दो हाथ करते, उसको नेस्तनाबूद करते, बेहद बिजी एंकरों को या तो इन वीडियोज का सहारा है या फिर उन कुछ लंपट ट्वीटों का, जिनको मुख्य खबर बना कर चर्चा करा कर देश को बचाया और देशप्रेम लाया जा सके!

परेश रावल का ट्वीट तीसरे दिन आकर कांय कांय करने लगा। वे लिख दिए कि अरुधंती राय को जीप में बांधने वाला संदेश उन्होंने दबाव में वापस लिया है! लेकिन सबसे ज्यादा बवाल काटा अभिजीत के उस ट्वीट ने, जिसमें लिखा कि ऐसी अफवाह है कि शेहला राशिद ने दो घंटे के दो लाख रुपए लिए, लेकिन ग्राहक को संतुष्ट नहीं कर सकी। हाय हाय कैसी लंपट भाषा? कैसी सड़क छाप व्यंजना और फिर भी सीना जोरी!रिपोर्टर ने संतुलित किया कि शेहला ने ट्वीट किया था कि भाजपा के कुछ नेता सेक्स रैकेट में शामिल हैं। शेहला ने कहा कि ये सब खबरें पब्लिक डोमेन में हैं…कहता कोई है, लगती किसी को है और पैदा होता है उग्र देशपे्रम और फिर उसके पक्ष में खड़े हो जाते हैं हमारे प्यारे एंकर! शेहला ने अटैक किया भाजपा को। चोट लगी अभिजीत को और देशप्रेम उमड़ा सोनू निगम में! इक्कीस बार ट्वीट कर कहा कि मैं ट्विटर खाता बंद कर रहा हूं! बड़ी मेहरबानी सरजी!
बड़ी हाई क्वालिटी के ‘एंटीनेशनल’ हैं मणिशंकर अय्यर जी! देशप्रेमी एंकरों की दहाड़ों से डरते ही नहीं! एंकर ‘पाक के दलाल’ मीरवाइज से मिलने से मना करते हैं, लेकिन मणि हैं कि मानते ही नहीं! जब एक अंगरेजी चैनल का रिपोर्टर मणिशंकर से कहने लगा कि आपको ‘एंटीनेशनल’ कहा जाता है, तो पलट कर मणि ने कहा ‘मैं तुम्हारे जैसे ‘एंटीनेशनल’ चैनल से बात नहीं करता’! अब बताइए कौन है ‘एंटीनेशनल’?

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