राजस्थान उच्च न्यायालय ने बुधवार को राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह केंद्र सरकार के साथ समन्वय में गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिये आवश्यक कदम उठाये। न्यायमूर्ति महेश चंद शर्मा ने मुख्य सचिव और महाधिवक्ता को गाय का कानूनी संरक्षक भी नियुक्त किया। अपने 145 पन्नों के आदेश में गाय के अलावा जस्टिस शर्मा ने मोर को लेकर जो टिप्पणी की गई वो सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटौर रही हैं। आदेश जारी करने के बाद अदालत के बाहर पत्रकारों से बात करते हुये न्यायमूर्ति शर्मा ने मोरों के समागम का विशिष्ट सिद्धांत भी पेश किया।
अपने फैसले के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘‘मोर में भी अपना गुण होता है। वह आजीवन अविवाहित रहता है। वह मोरनी के साथ समागम नहीं करता। मोरनी मोर के आंसुओं से गर्भवती होती है। तब एक मोर या मोरनी का जन्म होता है…भगवान कृष्ण ने पक्षियों के ब्रह्मचर्य के लिये मोर के पंख का इस्तेमाल किया था।’’ राष्ट्रीय पशु के दर्जे पर अपने फैसले के बारे में और जानकारी देते हुये न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा, ‘‘कानून का उदय धर्म से हुआ है। धर्म कानून से नहीं आया है।’’ मोर पर जस्टिस शर्मा के इस अजीबो-गरीब बयान की ट्विटर पर खूब खिल्लिया उड़ी। टीवी चैनल में जब इंटरव्यू के दौरान जब उन्होंने मोर के सेक्स को लेकर अपने विचार चैनल पर बताए तो न्यूज एंकर राहुल कंवल अपनी हंसी तक नहीं रोक नहीं पाए।