राजस्थान में श्रीगंगानगर जिले में जीआरपी पुलिस थाने में अपराधियों को बंद करने के लिए लॉकअप तक नहीं है जिसके कारण कैदियों को गिरफ्तार करना पुलिस के लिए एक बड़ा कठिन काम बना हुआ है। इस जिले के बोर्डर के पास बने पुलिस स्टेशन में पिछले तीन सालों से जेल की सुविधा नहीं है। इसकी शिकायत कई बार उच्च अधिकारियों से की गई लेकिन इसपर अभीतक कोई कदम नहीं उठाया गया है। पुलिस थाने के एसएचओ धाने सिंह ने इस मामले की जानकारी देते हुए कहा कि थाने में कैदियों को रखने के लिए केवल एक छोटा सा कमरा बना हुआ है।
उस कमरे में एक लकड़ी का खूंटा गढ़ा हुआ था जिसमें एक चेन बंधी थी जिससे कैदियों को बांधा जाता है। सिंह ने कहा कि इस तरह कैदियों को एक ही जगह पर किसी चेन से बांधना हमें अच्छा नहीं लगता है और हम यह भी जानते हैं कि यह मानवधिकार के खिलाफ है लेकिन हम मजबूर हैं। चेन में बंधे कैदी केवल इधर से उधर एक जगह पर बैठे हुए मुड़ सकते हैं। यहां तक की जब तक उन्हें टॉटलेट की जरुरत नहीं होती तबतक कैदियों को एक जगह पर ही बैठना पड़ता है।
सिंह ने कहा कि चेन से बंधे जमीन पर बैठे हुए कैदियो की हमेशा देख-रेख करनी पड़ती है क्योंकि लकड़ी का खूंटा इतना मजबूत भी नहीं है कि वे उसे उखाड़ न सके। दिन के सभी काम करते हुए भी उन्हें देखना पड़ता है। इस खूंटे से एक बार में केवल एक ही कैदी को बांधा जा सकता है क्योंकि वहां इतनी जगह नहीं है कि एक ही खूंटे से दो लोगों को बांधा जा सके। इसी की वजह से हमें 12 घंटे का सफर करके बिकानेर जाना पड़ता है जहां पर उन्हें कोर्ट में पेश कर वहीं की जेल में भेजना पड़ता है। पिछले तीन दशकों से कई बार प्रशासन को इस संबंध में पत्र भेजे गए लेकिन यहां पर अभीतक जेल की परेशानी ऐसे ही बनी हुई है।