Monday, February 10, 2025
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राजस्‍थान से गोवा जाकर मजदूरी करने वाले बच्‍चे की गुहार…मैडम

SI News Today

कल गोवा में वास्को में घुमते हुए गन्ने के रस बेचने वाले एक ठेले पर जाकर पैर रुक गए। गर्मी बहुत थी तो सोचा गन्ने का रस पी लिया जाए। ठेले पर एक तेरह चौदह बरस का लड़का गन्ने का रस निकालने का काम कर रहा था। जब हम वहां पहुंचे तो वह ठेले के नीचे झाड़ू लगाकर सफाई कर रहा था, हमने कहा कि क्या ठेला बंद कर रहे हो जूस नहीं मिलेगा। तो उसका जबाब सुनकर थोड़ा हैरानी हुई। उसने कहा पहले स्वच्छता, मोदी कहते हैं न कि देश को साफ सुथरा रखना है। झाड़ू लगाकर फिर जूस निकालता हूं। हम इंतजार करने लगे। हमने एक लीटर जूस लेने का आर्डर दिया और खड़े हो गए। उसने सफाई करके हाथ धोए और गन्ने का जूस निकाला एक लीटर से कुछ कम बना, तो हमने कहा रहने दो जितना है, उतना काफी है। इस बार उसने फिर हैरानी में डालने वाला उत्तर दिया। मोदी ने ईमानदारी से रहने के लिए कहा है, कम नहीं दूंगा। मैंने कहा ठीक है. पर ये तुम बार बार मोदी की बातें कर रहे हो, उनको सुना है क्या? बोला नहीं पेपर में पढ़ता रहता हूं।

उसकी पांच मिनट की बातों ने काफी प्रभावित कर लिया था और लगा कि देश को ऐसी ही सोच वाले नौनिहालों की सही मायनों में जरुरत है। हमारे अंदर उस बच्चे के बारे में जानने का कौतुहल जागा और धीरे धीरे हमने उसके बारे में बातोंबातों में बहुत कुछ जान लिया। पर जो जाना उसने भीतर तक आर्द्र कर दिया, आँखें नम हो आईं, वो बच्चा राजस्थान के चित्तौड़ के किसी गांव का रहने वाला है, एक्सीडेंट में उसके पिता की मृत्यु हो चुकी है, घर में बूढ़ी मां है और एक बड़ा भाई है जो विवाहित है और एक बहन जिसकी शादी दोनों भाइयों ने जैसे तैसे रुपए जुगाड़ करके की है। वो कहता है अब मैं ही शादी के लिए बचा हूं। मुझे उसके इस वाक्य पर हंसी आई। मैंने कहा तुम अपनी और बातें मुझे बताओ मैं कोशिश करूंगी, तुम्हारी कुछ मदद कर सकूं।

उसने कहा आप बस मोदी तक मेरी बात पहुंचा दो। हमारी गांव में 25 बीघा जमीन है, जो एक लाख रुपए में सरपंच के पास गिरवी रखी है। बस वो वापस करवा दो। इंदिरा आवास योजना के कागज अभी तक हमको नहीं मिले हैं। सरपंच बुद्धु बना रहा है। मैं उस बच्चे के छोटे से मुंह से निकल रहे जीवन के बड़े बड़े मायनों वाले शब्दों को सुनसुनकर आश्चर्यचकित हुई जा रही थी। कहां राजस्थान के छोटे से गांव से जिंदगी के भटकावों में भटककर आया वो मासूम गोवा की एक सड़क पर खड़ा ठेले में गन्ने का जूस स्वच्छता और ईमानदारी के बल पर बेच रहा है। वो मोदी का नाम ऐसे लेता है, जैसे घर का कोई सदस्य हों वे। मुझे लगा सरकार तीन साल के जश्न ऐसे ही बच्चों के बल पर मना पा रही है। बहुत बड़े बड़े लेख छप रहे हैं, सरकार की उपलब्धियों की गिनतियां उंगलियों से परे हो रही हैं। बहुत कुछ सच्चाइयों के पास भी हैं, तभी तो गन्ने के रस बेचने वाला वो बच्चा मोदी से आशाएं लगाए हुए है। सरकार की उपलब्धियां इन आशाओं से बनी हैं और ये आशाएं इन उपलब्धियों पर टिकी हैं।

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