रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पहली बार 30 जून को समाप्त हुए सप्ताह में अपनी बैलेंस शीट रिलीज करने से इनकार किया है। 30 जून को आधिकारिक तौर पर यह केन्द्रीय बैंक उस सप्ताह के पूरक सांख्यिकीय आंकड़ों के साथ अपना अकाउंटिंग ईयर (लेखा वर्ष) बंद करता है। माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक नोटबंदी के प्रभाव के अंतिम आंकड़ों का इंतजार कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय बैंक अभी भी सर्कुलेशन करेंसी का अनुमान लगाने के लिए काम कर रहा है। बैलेंस शीट में यह तथ्य देनदारियों का एक प्रमुख हिस्सा होता है।
एक प्रमुख अर्थशास्त्री ने बताया कि रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट में करेंसी सर्कुलेशन बड़ा दायित्व होता है। पब्लिक अकाउंट (रिजर्व बैंक अकाउंट) होने की वजह से इसे पब्लिक डोमेन में रखना जरूरी होता है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक जुलाई के आखिरी हफ्ते तक तक इसे अंतिम रूप दे देगा और अगस्त तक इसे सरकार को समर्पित कर देगा।
बता दें कि हाल ही में 12 जुलाई को रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने संसद की एक स्टैंडिंग कमेटी को कहा था कि नोटबंदी में कितने नोट वापस लौटे,यह नहीं बता सकते क्योंकि उसकी गिनती अभी भी जारी है। उन्होंने कहा कि जब उसकी गिनती पूरी कर ली जाएगी तब उसे सरकार को बता दिया जाएगा। उन्होंने तब कहा था कि सरकार द्वारा कॉपरेटिव बैंकों को पुराने नोट जमा करने का आदेश देने में देरी हुई, इस वजह से अभी भी पुराने नोटों की गिनती जारी है। इसके अलावा नेपाल से द्विपक्षीय समझौतों की वजह से भी भारतीय पुराने नोट देर से मिले
उर्जित पटेल ने स्टैंडिंग कमेटी को बताया कि नोटबंदी के समय देश में 17.7 लाख करोड़ रुपये की करेंसी बाजार में सर्कुलेशन में थी। इनमें से ज्यादातर 500 और 1000 रुपए के नोट थे। जब उन से यह पूछा गया कि इसमें से कितना वापस आ चुका है, तो इस सवाल पर उर्जित पटेल ने गोलमोल जवाब दिया। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर की रात आठ बजे देश में नोटबंदी का एलान किया था और 500 और 1000 रुपये के करेंसी नोटों को प्रचलन से बाहर कर दिया था। प्रधानमंत्री ने लोगों से ऐसे सभी पुराने नोट बैंकों में जमा कराने के निर्देश दिए थे। इसकी जगह सरकार ने नए किस्म के 500 और 2000 रुपये के नोट जारी किए थे।