Friday, October 4, 2024
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वध के लिए पशुओं की खरीद वाले केंद्र के नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

SI News Today

सुप्रीम कोर्ट ने पशु बाजार में वध के लिए मवेशियों को खरीदने और बचने पर रोक लगाने वाली अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से दो हफ्ते में अपना जवाब देने को कहा और मामले को 11 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। हैदराबाद निवासी याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी और कहा था कि केंद्र का नोटिफिकेशन ‘भेदभाव पूर्ण और असंवैधानिक’ है क्योंकि यह मवेशी व्यापारियों के अधिकारों का हनन करता है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच कर रही है।

याचिकाकर्ता मोहम्मद फहीम कुरैशी ने पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 को भी चुनौती दी है। हैदराबाद निवासी याचिकाकर्ता के वकील सनोबर अली कुरैशी ने बीते सात जून को न्यायालय से मामले की जल्द सुनवाई का अनुरोध किया तो न्यायमूर्ति अशोक भूषण तथा न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की अवकाश पीठ ने मामले की सुनवाई करने के लिए 15 जून की तारीख तय की।
पेशे से वकील फहीम कुरैशी ने दलील दी है कि पशु क्रूरता रोकथाम (मवेशी बाजार विनियमन) कानून, 2017 तथा पशु क्रूरता रोकथाम (जब्त पशुओं की देखभाल तथा इलाज) कानून, 2017 मनमाना, अवैध तथा असंवैधानिक है।

याचिकाकर्ता ने 23 मई को जारी दोनों अधिसूचनाओं के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी है। फहीम कुरैशी ने उस नियम पर सवाल उठाया है, जिसमें कम उम्र के मवेशियों को तब तक बाजार में नहीं बेचा जा सकता, जबतक कि खरीदार एक हलफनामा भरे, जिसमें वह बताए कि वह एक किसान है, मवेशी का केवल कृषि उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल होगा और उसे छह महीनों तक नहीं बेचा जाएगा। बता दें कि केंद्र सरकार के इस नोटिफिकेशन का केरल समेत देश के कई राज्यों में विरोध किया गया है। केरल में तो विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में हिस्सा लेने से पहले विधायकों ने नाश्ते में गोमांस का सेवन कर विरोध जताया था।

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