धार्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर ट्वीटर पर आलोचना और “आतंकवाद” की तुलना करके यूजर्स से शब्दबाणों से घिर गए। रविशंकर ने ट्वीट किया, “समाधार सुझाए बिना आलोचना करना आतंकवाद ही है।” रविशंकर के ट्वीट के तुरंत बाद कई सोशल मीडिया यूजर्स ने उनकी आलोचना शुरू कर दी। रविशंकर के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए पत्रकार और फिल्मकार प्रतीश नंदी ने कहा, “जिंदगी में ऐसी बकवास कभी नहीं सुनी।” वहीं क्रिकेट कमेंटेटर रौनक कपूर ने श्रीश्री रविशंकर के बयान को मूर्खतापूर्ण बता दिया।
रौनक कपूर ने ट्वीट किया, “श्रीश्री ये बेवकूफाना, अंसवेदनशील और लापरवाही भरा बयान है। मेरा आपको सुझाया समाधान ये है आप ट्वीट करना बंद कर दें। खुश?” क्यू नासिर नामक यूजर ने रविशंकर के ट्वीट पर जवाब देते हुए पूछा, “गुरुजी ने एनजीटी का फाइन पे कर दिया क्या?” दिल्ली में यमुना किनारे श्रीश्री रविशंकर के संगठन आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा कराे गए कार्यकर्म की वजह से यमुना और पर्यावरण को पहुंचे नुकसान की वजह से राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने उन पर पांच करोड़ का जुर्माना लगाया था।
महेश बैलाकंवर नामक यूजर ने श्रीश्री रविशंकर के साथ ही उनके आर्ट ऑफ लिविंग पर भी कटाक्ष किया। महेश ने ट्वीट किया, “श्रीश्री जनता को आर्ट ऑफ लिविंग पर भाषण देते हैं जबकि खुद ही अपनी शिक्षाओं पर अमल नहीं करते, ये कुछ और नहीं COVFEFE है।” COVFEFE शब्द तब चर्चा में आया था जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने एक ट्वीट में इसका प्रयोग किया। ऐसा कोई शब्द अंग्रेजी शब्द कोश में नहीं होता। जाहिर है अमेरिकी राष्ट्रपति से टाइप करने में कोई त्रुटि हुई थी जिसकी वजह से वो एक निरर्थक शब्द लिख बैठे। अमेरिकी राष्ट्रपति शायद “प्रेस कांफ्रेंस या कवरेज” की जगह प्रेस कावेफी” लिख बैठे थे।
आफताब आलम नामक यूजर ने श्रीश्री रविशंकर से ट्वीट डिलीट करने की मांग की है। आफताब ने ट्विटर पर लिखा, “श्रीश्री इस ट्वीट को डिलीट कीजिए। ये काफी बचकाना है और दुर्वभावना से प्रेरित लगता है। क्या आपके पास डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये का विनियम मूल्य 45 करने का कोई उपाय है?” हालांकि रविशंकर को ट्विटर पर घिरता देख उनके समर्थक तुरंत उनके बचाव में उतर आए। रविशंकर के बचाव में ट्वीट करने वाले कई लोगों के ट्विटर प्रोफाइल में खुद को उनका भक्त या आर्ट ऑफ लिविंग से जुड़ा हुआ या उसका समर्थक बताया गया है।