देशभर में सभी दवा विक्रेता आगामी 30 मई को हड़ताल पर जाएंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक दवा विक्रेताओं का पक्ष है कि सरकार की नीतियों से उन्हें कारोबार को नुकसान हो रहा है और इसी के चलते वे हड़ताल करेंगे। दवा विक्रेताओं का दावा है कि रेग्युलेशन्स के चलते उनके दवाओं की बिक्री पर मुनाफे का मार्जिन काफी कम रह गया है। ऑल इंडिया केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट(AIOCD) ने कहा है कि उन्होंने कई बार इस संबंध में सरकार से बातचीत की है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। इसी वजह से सभी फार्मासिस्ट्स 30 मई को हड़ताल करेंगे। बता दें सरकार ने ड्रग पोर्टल पर दवा निर्माता, सीएनएफ एजेंट, स्टॉकिस्ट का पंजीकरण कराने समेत कई दिशा-निर्देश जारी किए थे। वहीं बिना रजिस्ट्रेशन दवा की बिक्री की इजाजत नहीं मिलेगी। इसके अलावा फुटकर दवा विक्रेताओं को डॉक्टर के पर्चे को वेबसाइट पर अपलोड करना होगा, तभी वह किसी को दवा दे सकेंगे। इसके साथ ही दवाओं का बिल अपलोड करना होगा।
ऑल इंडिया केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट लगभग 9 लाख दुकानों का प्रतिनिधित्व करती हैं। वहीं खबरों के मुताबिक संगठन ने पीएमओ, स्वास्थ्य मंत्रालय और गृह मंत्रालय को पहले ही हड़ताल की जानकारी दे दी है। हड़ताल 29 मई देर रात 12 से शुरू होगी जो 30 मई रात 12 बजे तक चलेगी। वहीं ड्रग रीटेलर्स दवाओं की सेल में अपने मुनाफे का मार्जिन बढ़ाने को लेकर लंबे समय से मांग उठाते रहे हैं। रीटेलर्स का मार्जिन लगभग 16 फीसद है। वहीं संगठन 30 मई को जंतर मंतर पर विरोध-प्रदर्शन भी करेगा। खबरों के मुताबिक ड्रग रीटेलर्स दवाओं की आनलाइन सेल के खिलाफ भी विरोध करेंगे। रीटेलर्स का दावा है कि दवाओं की ऑनलाइन बिक्री गैर-कानूनी है। केमिस्ट्स का दावा है कि इससे न सिर्फ उनके काम पर असर पड़ रहा है बल्कि नकली दवाओं का कारोबार बढ़ने की भी आशंका है।
गौरतलब है दवाओं को लेकर केंद्र सरकार ने कई फैसले लिए हैं जिनसे वह काफी ऐक्टिव नजर आ रही है। बीते साल भी सरकार ने कई दवाओं के दाम घटाए थे और पारासिटामोल समेत आठ नई दवाओं को पहली बार कीमत नियंत्रण के अंतर्गत लाया गया था। 800 से अधिक प्रकार की दवाओं को सस्ता बनाने के प्रयास के तहत यह कदम उठाया गया था।