इस समय पूरी दुनिया को जिस साइबर अटैक ने हिला कर रख दिया है, उससे निपटने के लिए साइबर विशेषज्ञों ने दावा किया है कि कुछ महत्वपूर्ण सुरक्षात्मक कदम उठाकर उससे बचा जा सकता है।
इन सुरक्षा उपायों को साइबर एक्सपर्ट्स ने तीन चरणों में बांटा है। अपने कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम को अपडेट करें, फायरवॉल को अपडेट करके सही कंफिग्रेशन में रखें और ऐसे कॉमर्शियल एंटी वायरस का उपयोग करें जो एंटी स्पायवेयर फीचर रखता हो।
विशेषज्ञों का कहना है कि ‘वानाक्राय रेनसमवेयर’ का उपयोग करके हैकर्स ने साबित कर दिया है कि उनके सामने इस समय अधिकतर सामान्य उपयोग में आ रहे कंप्यूटरों की सुरक्षा कितनी कमजोर हैं।
युवा साइबर एक्सपर्ट नितनेम सिंह ने बताया कि इस समय आम नागरिकों को पैनिक करने की नहीं, बल्कि अपनी साइबर सुरक्षा मजबूत करने की जरूरत है। यह बहुत मुश्किल नहीं है, बस सजग रहने की जरूरत है।
सिस्टम को करें अपडेट
ये हैं तीन आसान टिप्स
1. अपना कंप्यूटर अपडेट रखें
विंडो ने अपने बंद हो चुके ऑपरेटिंग सिस्टम ‘विंडो एक्सपी’ के लिए भी नया अपडेट जारी किया है। अटैक चूंकि विंडो एक्सपी पर हो रहे हैं, ऐसे में यह जरूरी था। इस समय एक्सपी यूजर्स के साथ-साथ अन्य विंडो ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोग करने वाले भी अपने सिस्टम को अपडेट करें।
2. फायर वॉल अपडेट
यह दूसरा महत्वपूर्ण कदम है। विशेषज्ञ बताते हैं अक्सर नेटवर्क नहीं मिलने या नया सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करने के दौरान फायरवॉल बंद हो जाता है या उसकी सेटिंग बदल जाती है। इसे हमेशा चेक करें। विंडा फायरवॉल के साथ-साथ अलग से फॉयरवॉल भी उपयोग कर सकते हैं जो सुरक्षा को और मजबूत करेगा।
3. और एंटी वायरस
साइबर हमलों से बचने के लिए एंटी वायरस को केवल अपडेट करना ही काफी नहीं है। ये हमले एंटी स्पायवेयर फीचर वाले एंटी वायरस से रोके जा सकते हैं। फ्री या ट्रायल एंटी वायरस के बजाए बजाय खरीदा हुए एंटी वायरस ज्यादा सुरक्षा देगा।
साइबर विशेषज्ञों के अनुसार रेनसवेयर दरअसल वहीं सफल रहा है, जहां सुरक्षा कमजोर है। ऐसा ज्यादातर सरकारी संस्थानों में हो रहा है, या उन लोगों और संस्थानों के साथ जो तकनीक और सुरक्षा को अपडेट नहीं कर पा रहे हैं।
यह है अटैक की हकीकत
रेनसेमवेयर के फैलने को लेकर तमाम कहानियां सामने आ रही हैं। नितनेम सिंह दावा करते हैं कि यह संभवत: विकिलीक्स के साथ शुरू हुआ, जिसने अमेरिका खुफिया एजेंसी सीआईए द्वारा हैकिंग के लिए बनाए गए पावर फुल टूल्स को ही सार्वजनिक कर दिया था।
इनमें हाई ऑर्बिट आयन कैनन जैसा एप्लीकेशन है जो उन नेटवर्क को अटैक करने के लिए बनाया गया था, जहां अनाधिकृत नेट यूजर्स नहीं पहुंच सकते। रैट टूल्स यानी रिमोट एक्सेस टूल्स भी हैं, जो किसी और नेटवर्क पर नियंत्रण करने का मौका देते हैं।
रेनसमवेयर इस लिहाज से अलग हैं कि वे कंप्यूटर में मौजूद डेटा को एनक्रिप्ट कर देते हैं या कहें तालाबंद कर देते हैं। डेटा कंप्यूटर में ही रहता है, लेकिन आप उसे उपयोग नहीं कर सकते क्याेंकि वह तालाबंद है और चाबी आपके पास नहीं।
हैकर्स चाबी देने के बदले फिरौती (रेनसम) मांगते हैं। नितनेम सिंह कहते हैं कि यह न केवल फिरौती है, बल्कि डेटा भी चोरी हो रहा है। सरकारी संस्थानों के सर्वर से जुड़े कंप्यूटरों से न केवल बेहद संवेदनशील सरकारी डेटा, बल्कि नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारियां और सूचनाएं भी चोरी होने की आशंका है, जिन्हें बेच कर हैकर्स भविष्य में दूसरी ठगियों को संभव कर रहे हैं।