हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच करने वाले सीरियस फ्रॉड इनवेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) ने विजय माल्या मामले में खुलासा किया है कि किंगफिशर एअरलाइंस लिमिटेड ने 2000 करोड़ रुपये का कॉर्पोरेट लोन लेने के लिए अधिकारियों पर बाहरी दवाब बनाया था। एजेंसी ने माल्या पर आरोप लगाया है कि लोन की स्वीकृति के लिए उसने बैंकिंग प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया था। एसएफआईओ की रिपोर्ट के मुताबिक, जो सबूत सीबीआई के पास है, उससे पता चलता है कि किंगफिशर एअरलाइंस ने लोन के लिए वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से संपर्क किया। यही नहीं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों पर दवाब बनवाया।
एसएफआईओ ने 157 पेज वाले रिपोर्ट में कहा है कि शराब कारोबारी विजय माल्या वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के सलाह पर एसबीआई के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी से 2009 में मिले थे। जिन्होंने 500 करोड़ रुपये के कॉर्पोरेट लोन का आश्वासन दिया था। एसएफआईओ की रिपोर्ट में कहा गया कि माल्या आईएएस, आईपीएस अधिकारियों के संपर्क में रहता था। वो नेताओं और वरिष्ठ अधिकारियों में रुतबा बनाए रखने के लिए होने महंगे तोहफे देता था। इसी तरह उसने बैंकों से कई करोड़ का लोन पास करा लिया।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुसार भारत में बैंकों का पैसा लेकर भाग जाने के मामले में वांछित कारोबारी विजय माल्या ने आईडीबीआई बैंक से 900 करोड़ रुपये का कर्ज लेकर उसमें से करीब 500 करोड़ रुपये से अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, स्विट्जरलैंड और आयरलैंड जैसे सात देशों संपत्तियां खरीद ली थीं। माल्या ने भारतीय स्टेट बैंक समेत 17 भारतीय बैंकों का करीब नौ हजार करोड़ रुपये उधार ले रखा है।