Friday, April 19, 2024
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इलाहबाद हाईकोर्ट का 150वां स्थापना दिवस समारोह, सीएम योगी बोले- कानून शासकों का भी शासक

SI News Today

इलाहबाद हाईकोर्ट के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में हो रहे कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंच पर मौजूद हैं. योगी के सीएम पद संभालने के बाद दोनों पहली बार किसी सार्वजनिक मंच पर एक साथ दिखे. इस कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जे एस खेहर, केंद्रीय कानू
न मंत्री रवि शंकर प्रसाद भी मौजूद हैं.

समारोह में चीफ जस्टिस खेहर ने कहा, पीएम मोदी बार-बार मन की बात कहते हैं, आज हम अपने दिल की बात कहने आए हैं. हमारे देश में क्रिकेट के बहुत ज्यादा फैंस हैं. क, ख, ग पहली बार आठवीं क्लास में पढ़ा था.

– समारोह में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, कानून का स्थान शासक से भी ऊपर होता है. न्याय व्यवस्था मजबूत और निष्पक्ष होने से प्रजातंत्र सफल होता है. कानून शासक से बड़ा होता है उसे शासकों का शासक कहा जाता है. न्याय तभी स्थापित हो सकता है जब इसके साथ विधि हो. किसी देश की राजनीति पर उसकी न्याय व्यवस्था का असर होता है. लोकतंत्र पर जब संकट आया तब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उच्च मापदंड स्थापित किये। लांबित मामलों को निबटाने का फैसला कोर्ट ने खुद लिया, यह सराहनीय है. जनता चाहती है कि उसे सस्ता और जल्द न्याय मिले, इसके लिए कोशिश हो. महिलाओं और बच्चों और दिव्यांगो को न्याय मिलने में तेजी की जरूरत है

– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इलाहबाद हाईकोर्ट के 150वां स्थापना के समापन समारोह में पहुंचे. उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्वागत किया.

यह कार्यक्रम इलाहबाद हाईकोर्ट की स्थापना के 150 साल पूरे होने पर किया जा रहा है. इलाहाबाद हाई कोर्ट एशिया का सबसे पुराना और बड़ा कोर्ट है. पहले यह आगरा में था. वहां बनने के तीन साल के बाद इसको 1916 में इलाहाबाद में बनाया गया. इसकी दूसरी बेंच लखनऊ में भी है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट से लगभग 17 हजार वकील जुड़े हुए हैं. यहां जजों के तकरीबन 100 से ज्यादा पद हैं. इलाहाबाद हाई कोर्ट इकलौता ऐसा हाईकोर्ट है जिसका अपना म्यूजियम और गैलरी भी है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कई एतिहासिक फैसले किए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ही इंदिरा गांधी का निर्वाचन रद्द किया था. जगदंबिका पाल को भी यूपी के सीएम पद से हटाने का फैसला इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ही दिया था. अयोध्या जमीन विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ही जमीन का बंटवारा किया था. जिसमें राम मंदिर, बाबरी मस्जिद और अखाड़े के नाम पर तीन जगह बंटवारा किया गया था.

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