Thursday, April 25, 2024
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पीएम नरेंद्र मोदी के हमशक्ल की फोटो पर बढ़ा विवाद

SI News Today

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर सोशल मीडिया पर शेयर की गई एक तस्वीर ने AIB की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। तस्वीर में एक शख्स था जिसका चेहरा पीएम नरेंद्र मोदी से काफी मिलता था। तस्वीर साझा करने के बाद पुलिस ने साइबर सेल को इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। हालांकि कड़ी आलोचना होने के बाद AIB ने फोटो को हटा लिया था लेकिन मामला वहीं खत्म नहीं हुआ। AIB के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। टि्वटर पर पोस्ट की गई उस फोटो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह दिखने वाले शख्स को स्नैपचैट के डॉग फिल्टर का इस्तेमाल करते हुए दिखाया गया था। इस ट्वीट पर AIB को काफी आलोचना भी झेलने पड़ी थी।

बहरहाल AIB के तन्मय भट्ट ने इस मुद्दे को दोबारा उठाया है। तन्मय ने 13 जुलाई को पीएम नरेंद्र मोदी का एक पुराना ट्वीट शेयर किया है। हालांकि इसमें उन्होंने कुछ लिखा नहीं, लेकिन फिर भी यह ट्वीट वायरल हो गया। तो आखिर इसमें ऐसा क्या है? दरअसल इस पोस्ट में पीएम मोदी का 17 मार्च 2017 को किया गया एक ट्वीट है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद पूर्व क्रिकेटर रवि शास्त्री ने पीएम को ट्विटर पर बधाई दी थी। पीएम ने भी इसके जवाब में शास्त्री को धन्यवाद दिया था।

13 जुलाई को किया गया तन्मय भट्ट का ट्वीट

तभी पीएम और शास्त्री के ट्वीट्स पर Siर RAJaन‏ (@Sir_R_U_L) नाम के एक ट्विटर यूजर ने टिप्पणी की थी। ट्विटर यूजर ने लिखा था “Wow! I hope you use your sense of humor extensively in every speech”। इसी के जवाब में पीएम मोदी ने ट्वीट किया था, “We surely need more humour in public life” इसका मतलब है कि हमें सार्वजनिक जीवन में और ज्यादा हास्य की जरूरत है। तन्मय के इस ट्वीट को दोबारा साझा करते ही सोशल मीडिया यूजर्स को AIB के पुराने ट्वीट की याद दिला दी। लोगों ने AIB के स्नैपचैट के डॉग फिल्टर वाली फोटो शेयर करने के वाक्यात को लेकर काफी कमेंट्स किए। कई लोगों ने AIB के समर्थन में ट्वीट किए। वहीं कई लोगों ने उनकी आलोचना भी की।

मार्च 2017 में पीएम द्वारा किए गए ट्वीट्स

साथ ही तन्मय ने इस मुद्दे पर दो और ट्वीट्स कर अपने समर्थकों का धन्यवाद किया है। उन्होंने लिखा है कि किसी फेसबुक पोस्ट के लिए किसी को भी जेल नहीं भेजा जाना चाहिए। तन्मय ने लिखा कि बोलने की आजादी के तहत लोगों को यह अधिकार है कि वे आलोचना कर सकें और इसमें नेता और धर्म भी आते हैं।

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