केंद्र और महाराष्ट्र सरकार में शामिल शिवसेना काफी समय से अपनी पुरानी सहयोगी पार्टी भाजपा से नाराज है। दोनों के बीच मतभेद इतने गहरा गए हैं कि शिवसेना ने अब भाजपा से दूरी बनानी शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हालांकि इस दूरी को खत्म करने की पहल करते हुए शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को एनडीए घटकों के डिनर में आमंत्रित किया है, लेकिन उद्धव इस स्नेह भोज में शामिल नहीं होंगे।
शिवसेना के नेताओं ने साफ किया है कि उद्धव दिल्ली नहीं जाएंगे। माना जा रहा था कि ठाकरे से मुलाकात के दौरान पीएम मोदी शिवसेना के साथ जारी गतिरोध को दूर करने की कोशिश करेंगे और राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भी चर्चा होगी। उद्धव के मीडिया सलाहकार हर्षल प्रधान ने ‘अमर उजाला’ को बताया कि ठाकरे प्रधानमंत्री के स्नेह भोज में नहीं जाएंगे।
वहीं, शिवसेना प्रवक्ता व सांसद संजय राउत ने कहा कि भाजपा जरूरत होने पर शिवसेना का इस्तेमाल करती है। इसलिए उद्धव पीएम के डिनर में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रपति चुनाव के लिए भाजपा को शिवसेना का समर्थन चाहिए तो उद्धव के आवास मातोश्री आना होगा।
संजय राउत ने कहा कि इससे पहले भी शिवसेना ने राष्ट्रपति पद के लिए भाजपा उम्मीदवार को समर्थन नहीं दिया था। गौरतलब है कि शिवसेना ने कांग्रेस की उम्मीदवार रही पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को अपना समर्थन दिया था।
इधर, शिवसेना की अड़ंगेबाजी से महाराष्ट्र भाजपा इकाई काफी परेशान है। शिवसेना राज्य सरकार में शामिल है उसके बावजूद विधायकों का रवैया सरकार विरोधी है। कर्जमाफी के मुद्दे पर शिवसेना विधायक विपक्षी दल कांग्रेस-एनसीपी के साथ है जिससे विधानसभा और विधान परिषद की कार्यवाही लगातार बाधित है। शिवसेना का रवैया मुयमंत्री देवेंद्र फडणवीस के लिए सिरदर्द बन गया है।
बृहस्पतिवार को फडणवीस की अध्यक्षता में पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में यह तय किया गया है कि या तो राज्य में मध्यावधि चुनाव कराया जाए या फिर कांग्रेस और एनसीपी के विधायकों को तोड़कर उन्हें अपने पाले में लाकर शिवसेना से छुटकारा पाया जाए।